Nobel Prize 2022 Winners List

Category

Physiology and Medicine

Physics


Chemistry



Peace




Literature
Winner

Professor Svante Pääbo

Alain Aspect, John Clauser and Anton Zeilinger

Carolyn Bertozzi, Morten Meldal and Barry Sharpless

Ales Bialiatski, Memorial and Center for Civil Liberties


Annie Ernaux

इस साल नोबेल पीस प्राइज ( नोबेल शांति पुरस्कार 2022 ) एक व्यक्ति और दो संगठनों को दिया गया है। बेलारूस के ह्यूमन राइट्स एडवोकेट आलिस बिलिआत्स्के को इस पुरस्कार के लिए चुना गया है। नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में इस पुरस्कार का ऐलान किया गया।

आलिस के अलावा रशियन ह्यमून राइट्स ऑर्गनाइजेशन मेमोरियल और यूक्रेनियन ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज को दिया गया है। ये दोनों ही संस्थान मानवाधिकार के लिए काम करते हैं।

आलिस ने 1980 में बेलारूस की तानाशाही के खिलाफ डेमोक्रेसी मूवमेंट का आगाज किया। वो आज तक अपने ही देश में सच्चा लोकतंत्र बहाल करने की जंग लड़ रहे हैं।

रूस - यूक्रेन जंग में बेलारूस के राष्ट्रपति लुकाशेंको व्लादिमिर पुतिन के साथ खड़े हैं। आलिस ने विसाना नाम का संगठन तैयार किया। यह ऑर्गनाइजेशन जेल में बंद लोकतंत्र समर्थकों को कानूनी मदद मुहैया कराता है।

2011 से 2014 तक आलिस जेल में रहे। 2020 में उन्हें फिर अरेस्ट कर लिया गया और अब तक जेल में हैं।


शांति पुरस्कार विजेता दो संगठन⇓

रूस का ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन मेमोरियल: 1987 में बना। उस दौर में सोवियत संघ था। इसके फाउंडर मेंबर्स में नोबेल पीस प्राइज विजेता एंद्रेई सखारोव औ ह्यूमन राइट्स एडवोकेट स्वेतलाना गनुशकिना भी थे।

सोवियत संघ के 15 हिस्सों में बिखरने के बाद यह रूस का सबसे बड़ा मानवाधिकार संगठन बना। इसने स्टालिन के दौर से अब तक पॉलिटिकल प्रिजनर या राजनैतिक कैदियों के लिए आवाज उठाई। रूस ने जब चेचेन्या पर हमला किया और 2009 में इस संगठन की नतालिया एस्तेमिरोवा मारी गई तो इस संगठन ने विश्व स्तर पर आवाज उठाई। रूसी सरकार इसे विदेशी जासूसों का संगठन बताती है।

सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज : यूक्रेन की राजधानी कीव में 2007 में बना। मकसद यूक्रेन में लोकतंत्र को मजबूत करना था। इस संगठन का कहना है कि यूक्रेन में अब भी सही मायनों में लोकतंत्र मौजूद नहीं है। इस ऑर्गनाइजेशन की मांग है कि यूक्रेन को इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट का हिस्सा बनना चाहिए। इसी साल फरवरी में जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो इस संगठन वॉर क्राइम के मामलों की जांच की। अब यह मामले इंटरनेशनल कोर्ट में दायर किए जा रहे हैं।

नोबेल वीक 3 अक्टूबर को शुरू हुआ और 10 अक्टूबर तक चलेगा। 7 दिन में कुल 6 प्राइज अनाउंस होते हैं।

सबसे आखिर में इकोनॉमिक्स कैटेगरी का नोबेल अनाउंस किया जाता। 

नोबेल कमेटी के मुताबिक- इस साल कुल 340 व्यक्ति या संस्थाओं ने शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेशन फाइल किए। इनमें 251 व्यक्ति और 92 ऑर्गनाइजेशन हैं।

किस नोबेल कैटेगरी का ऐलान कब

मेडिसिन- 3 अक्टूबर 2022

लिट्रेचर- 6 अक्टूबर 2022

पीस (शांति)- 7 अक्टूबर 2022

फिजिक्स- 4 अक्टूबर 2022

केमिस्ट्री- 5 अक्टूबर 2022

इकोनॉमिक्स- 10 अक्टूबर 2022


नोबेल प्राइज एक नजर में★

पुरस्कार की स्थापना- 1895

पहली बार प्रदान किए गए- 1901

इकोनॉमिक्स का प्राइज शुरू हुआ- 1968


नोबेल पुरस्कार वैज्ञानिक और इन्वेंटर अल्फ्रेड हार्ड नोबेल की वसीयत के आधार पर दिए जाते हैं ।

आल्फ्रेद नोबेल की 1895 की वसीयत के अनुसार पुरस्कार, "उन लोगों को दिए जाते हैं, जिन्होंने पिछले वर्ष के दौरान, मानव जाति को सबसे बड़ा लाभ प्रदान किया है।" आल्फ्रेद नोबेल की 1896 में मृत्यु हो गई। अपनी वसीयत में, उन्होंने अपनी "शेष वसूली योग्य संपत्ति" को पांच पुरस्कारों को स्थापित करने के लिए उपयुक्त किया, जिसे "नोबेल पुरस्कार" के रूप में जाना जाने लगा। नोबेल पुरस्कार पहली बार 1901 में दिए गए थे।

नोबेल पुरस्कार भौतिकी, रसायन विज्ञान, शरीरक्रिया विज्ञान या चिकित्सा, साहित्य और शांति के क्षेत्र में दिए जाते हैं (नोबेल ने शांति पुरस्कार को "उस व्यक्ति के रूप में वर्णित किया है जिसने राष्ट्रों के बीच साहचर्य को अग्रसराने के लिए सर्वाधिक या श्रेष्ठ किया है, सेना खड़े होने का उन्मूलन या कमी, और शांति सम्मेलन की स्थापना और प्रचार")। 1968 में, स्वीडिश केंद्रीय बैंक ने आल्फ्रेद नोबेल की स्मृति में अर्थशास्त्र में पुरस्कार की स्थापना को वित्त पोषित किया, जिसे नोबेल संस्थान द्वारा भी प्रशासित किया जाता है, और पहला अर्थशास्त्र का नोबेल 1969 ईसवी में दिया गया था । 

नोबेल पुस्कार फिजियोलॉजी और मेडिसिन- 2022 ⇓

स्वांते पाबो

निएंडरथल्स पर पाबो की रिसर्च ये बताती है कि मौजूदा इंसान विलुप्त हो चुकी अपनी प्रजातियों से कैसे अलग हैं।

यह पुरस्कार विलुप्त हो चुके निएंडरथल मानव के जीनोम का सीक्वेंस तैयार करने के लिए मिला है। निएंडरथल मानव 40 हजार साल पहले विलुप्त हो गए थे, जिनके जीनोम की खोज पाबो ने की है। द नोबेल कमेटी के सेक्रेटरी थॉमस पर्लमैन ने विजेता के नाम की घोषणा की। उन्होंने कहा कि पावो ने अपने शुरुआती रिसर्च में कुछ ऐसा किया है। जो पूरी तरह से असंभव था।

कौन हैं स्वांते पाबो ?

・जन्म 20 अप्रैल, 1955 को स्वीडन के स्टॉकहोम में हुआ ।

・1986 में उप्साला यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। वहीं से PhD भी की।

👉स्वांते पावो एक स्वीडिश जेनेटिसिस्ट हैं, जो इवोल्यूशनरी जेनेटिक्स के क्षेत्र में एक्सपर्ट हैं। उन्होंने पैलियोजेनेटिक्स के फाउंडर्स के रूप में निएंडरथल जीनोम पर बड़े पैमाने पर काम किया है। उनके ग्रुप ने विलुप्त होमिनिन से कई अतिरिक्त जीनोम सीक्वेंस का एनालिसिस पूरा कर लिया है। पाबो की खोज ने एक यूनिक रिसोर्स इस्टैबलिश्ड किया है ।

इसका इस्तेमाल साइंटिफिक कम्युनिटी के जरिए ह्यूमन इवोल्यूशन और माइग्रेशन को बेहतर ढंग से समझने के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है। फिलहाल वो जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ इवोल्यूशन एंथ्रोपोलॉजी से जुड़े हैं। इसके अलावा वो ओकिनावा इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी जापान का भी हिस्सा हैं।

कौन थे निएंडरथल मानव?

निएंडरथल मानव होमो वंश का एक विलुप्त मेंबर है। जर्मनी में निएंडर की घाटी में आदिमानव की कुछ हड्डियां प्राप्त हुई थीं, जिनके आधार पर इनका नाम निएंडरथल मानव रखा गया था। इनका कद अन्य मानवजातियों की अपेक्षा छोटा था।

अभी तक की स्टडी से मिली जानकारी के मुताबिक कद 4.5 से 5.5 फिट तक था। स्टडी के मुताबिक इनके बालों का रंग काला और स्किन यलो थी।

यह पश्चिमी यूरोप, पश्चिमी एशिया और अफ्रीका में रहते थे। आर्कियोलॉजिस्ट का कहना है कि यह करीब 1.60 लाख साल पहले धरती पर रहते थे।

जीनोम सीक्वेंसिंग क्या है ?

इससे ही नई बीमारी और नए वैरिएंट के बारे में पता लगाया जाता है।

जीवों में जेनेटिक डाइवर्सिटी को समझने के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग जरूरी।

जीनोम सीक्वेंसिंग किसी भी जीव का पूरा जेनेटिक बायोडेटा होता है।


फिजिक्स का नोबेल जीतने वाले 3 साइंटिस्ट⇓

एलेन आस्पेक्ट- फ्रांस

जॉन क्लॉसर- अमेरिका

एंटन जेलिंगर- ऑस्ट्रिया

एलेन आस्पेक्ट, जॉन एफ क्लॉसर और एंटन जेलिंगर । इन्हें यह पुरस्कार क्वांटम इन्फॉर्मेशन साइंस और फोटोन्स पर रिसर्च के लिए दिया गया है।

एलेन आस्पेक्ट फ्रांस से ताल्लुक रखते हैं। वो पेरिस और स्केले यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं। जॉन एफ क्लॉसर अमेरिकी रिसर्चर और प्रोफेसर हैं। एंटन जेलिंगर ऑस्ट्रिया की विएना यूनिवर्सिटी में फिजिक्स के हेड ऑफ द डिपार्टमेंट और रिसर्चर हैं।

तीनों वैज्ञानिकों का रिसर्च किस बारे में

■ नोबेल कमेटी की तरफ से जारी बयान के मुताबिक इन तीनों वैज्ञानिकों ने entangled quantum states पर रिसर्च किया। इसमें दो पार्टिकल्स बिल्कुल एक तरह का व्यवहार करते हैं। अगर इन दोनों पार्टिकल्स को अलग-अलग भी कर दिया जाए तो इनका व्यवहार नहीं बदलता।

■ इस रिसर्च का फायदा न सिर्फ नई टेक्नोलॉजी के लिए किया जा सकेगा, बल्कि इससे फिजिक्स की क्वॉन्टम इन्फॉर्मेशन थ्योरी को भी एक्सटेंड किया जा सकेगा। इससे भी बड़ी बात कि यह कई गंभीर बीमारियों के इलाज में नया रास्ता खोल सकती है।

■ टेक्नोलॉजी की बात करें तो क्वॉन्टम कम्प्यूटर्स, क्वॉन्टम नेटवर्क्स और क्वॉन्टम एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन में इस रिसर्च से नई क्रांति लाई जा सकती है। क्वॉन्टम मैकेनिक्स को भी नई राह मिलेगी।

क्वांटम यांत्रिकी और क्वांटम एंटैंगलमेंट (Entanglement) क्या है?

■ यांत्रिकी, भौतिकी की वह शाखा है जो विभिन्न निकायों की गति और परस्पर क्रिया से संबंधित है। यांत्रिकी के दो भाग हैं- क्लासिकल और क्वांटम ।

• क्लासिकल या न्यूटोनियन यांत्रिकी, मैक्रोस्कोपिक वस्तुओं की गति और उन्हें प्रभावित करने वाले बलों का गणितीय अध्ययन है।

• क्वांटम यांत्रिकी, भौतिकी का एक उपक्षेत्र है जिसके अंतर्गत कणों परमाणु, इलेक्ट्रॉन, फोटॉन के व्यवहार और आणविक एवं उप आणविक क्षेत्र में लगभग हर आयाम का वर्णन किया जाता है। 
    • क्वांटम सिस्टम के व्यवहार में एक महत्त्वपूर्ण अंतर (क्लासिकल रिजिड निकायों की तुलना में) एंटैंगलमेंट की अवधारणा है।

■क्वांटम एंटैंगलमेंट एक ऐसी घटना है जिसके अंतर्गत उप-परमाणु कणों की एक जोड़ी को साझा अवस्था में रखा जाता है (जहाँ इनके पूरक गुण होते हैं), ऐसे में कोई भी एक कण के गुणों को जानकर स्वतः ही दूसरे कण के गुणों को जाना जा सकता है।

     • यह सच है कि भले ही दोनों कणों को कितनी दूर क्लेयों न ले जाया जाए।
     • क्वांटम एंटैंगलमेंट को पहली बार वर्ष 1935 में इरविन श्रोडिंगर द्वारा स्पष्ट किया गया था, जिसे आगे चलकर उनके कैट पैराडॉक्स के नाम से जाना गया।


केमिस्ट्री का नोबेल जीतने वाले 3 साइंटिस्ट⇓

कैरोलिन बेट्रोजी- अमेरिका

मोर्टन मेल्डेल- डेनमार्क

बेरी शार्पलेस- अमेरिका

यह पुरस्कार तीन वैज्ञानिकों को दिया गया है। इनके नाम हैं- कैरोलिन बेट्रोजी (अमेरिका), मोर्टन मेल्डेल (डेनमार्क) और बेरी शार्पलेस (अमेरिका)। 81 साल के शार्पलेस को 2001 में भी दो अन्य वैज्ञानिकों के साथ यह पुरस्कार मिला था।

नोबेल कमेटी के मुताबिक, इन वैज्ञानिकों ने क्लिक केमिस्ट्री को एक नया आयाम दिया है। इसके अलावा बायोऑर्थोगोनल केमिस्ट्री में इनका रिसर्च भविष्य में मेडिसिन के लिए नया रास्ता खोलेगा।

क्या है तीनों वैज्ञानिकों की खोज?

क्लिक केमिस्ट्री अणुओं (मॉलिक्यूल्स) को एक साथ मिलाकर नए अणु बनाने की प्रक्रिया है। मान लीजिए कि आप छोटे अणुओं को एक साथ मिला सकें और फिर इन्हें लगातार मिलाकर बड़े, जटिल और विविध अणु (मॉलिक्यूल्स) बना सकें। इससे नए पदार्थ बनाना काफी आसान हो जाता है। क्लिक केमिस्ट्री का यही आधार है। हालांकि, दो अलग-अलग अणुओं के बीच प्रतिक्रिया होना हमेशा तय नहीं होता।

कैसे सुलझी अणुओं के बीच प्रतिक्रिया न होने की समस्या?

20 साल पहले वैज्ञानिकों के सामने यही सबसे बड़ी चुनौती थी। समस्या यही थी अणु बिना एक-दूसरे से प्रतिक्रिया किए आपस में जुड़ नहीं सकते। मॉर्टन मिएलडॉल और बैरी शार्पलेस ने इन्हें जोड़ने के लिए ऐसे केमिकल एजेंट्स की खोज की, जो कि अणुओं से जुड़ सकते थे और फिर एक के बाद एक अन्य अणुओं को भी जोड़कर अणुओं का जटिल गुच्छा बना सकते थे। इन्हें 'केमिकल बकल्स' कहा गया। जैसे बेल्ट को जोड़ने वाले 'बकल’।

बैरी शार्पलेस और मॉर्टन मिएलडॉल ने अलग-अलग स्तर पर स्वतंत्र रूप से पहले ऐसे बकल्स की खोज की, जो कि अणुओं से प्रतिक्रिया कर उनसे जुड़ जाएं। इन बकल्स की खासियत यह थी कि यह खास तरह के अणु से ही जुड़ सकते थे, न कि हर तरह के अणु से । इन्हें वैज्ञानिक अपनी तरह से मॉडिफाई भी कर सकते हैं, ताकि अलग-अलग तरह के अणुओं को जोड़ कर उनकी लंबी चेन बनाई जा सके। इस क्लिक केमिस्ट्री के जरिए आज अणुओं को जोड़कर इनका बड़ा और जटिल ढांचा तैयार किया जा रहा है। इनका इस्तेमाल दवाएं बनाने से लेकर पॉलीमर और नए पदार्थ बनाने में किया जा रहा है।

चिकित्सा क्षेत्र के लिए कैसे ज्यादा महत्वपूर्ण बन गई यह खोज ? 

■ हालांकि, यह भी एक अहम खोज है कि आखिर क्यों कोई इन अणुओं को मिलाकर जटिल अणुओं को पैदा करना चाहेगा। तो मान लीजिए कि आप इंसान में मौजूद कोशिकाओं में मौजूद जीवाणुओं से एक चमकने वाले अणु को मिला सकें। इसके बाद आप उन जीवाणुओं की माइक्रोस्कोप में भी निगरानी (ट्रैकिंग) कर सकेंगे। यानी आप उनकी स्थिति का हर वक्त पता लगा सकते हैं। इंसानी शरीर में किसी भी कोशिका की ट्रैकिंग अपने आप में एक बड़ी खोज साबित हुई है। यही खोज स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की कैरोलिन बेरटोजी ने की।

■ हालांकि, बेरटोजी को ऐसी क्लिक रिएक्शन ढूंढनी थीं, जिसमें इन खास अणुओं का कोशिकाओं से जुड़ना कोशिकाओं के लिए जहरीला न साबित हो जाए। बेरटोजी ने इसे बायो- ऑर्थोगॉनल केमिस्ट्री नाम दिया। ऐसी रसायनिक प्रतिक्रियाएं जो अणुओं के जुड़ने के बावजूद कोशिकाओं पर कोई असर नहीं डालतीं। यानी बेरटोजी की खोज से अणुओं को इंसानी कोशिकाओं से जोड़ना आसान हो गया, जो कि काफी उपयोगी खोज है। अब अणुओं से जुड़ी कोशिकाओं की निगरानी आसान है, जिससे शरीर का डायग्नोस्टिक किया जा सकता है। इसके अलावा इंसानों के शरीर में किसी लक्षित जगह पर दवाओं को पहुंचाने के लिए भी इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है।


साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार⇓

फ्रांसीसी लेखिका- एनी एर्नाक्स

इस वर्ष का साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार फ्रांसीसी लेखक एनी एरनॉक्स (French author Annie Ernaux) को प्रदान किया गया ।

एनी एरनॉक्स ने फ्रेंच सहित अंग्रेजी में कई उपन्यास, नाटक और लेख लिखे हैं । उन्होंने कई फिल्मों की कहानी भी लिखी है। एनी का जन्म सन् 1940 में हुआ था। एनी एरनॉक्स की चर्चित कृतियों में जर्नल इ डेहोर्स (Journal du dehors), ला वी एक्सटीरियर (La vie extérieure) किताबें शामिल हैं। इन पुस्तकों में एनी ने अपने बचपन के लेखों को शामिल किया है।

एनी एरनॉक्स ने अपने लेखन की शुरुआत 1974 में एक आत्मकथात्मक उपन्यास लेस आर्मोइरेस वाइड्स (Les Armoires vides) यानी क्लीन्ड आउट (Cleaned Out) से की थी। 1984 में उन्होंने अपनी एक अन्य रचना ला प्लेस (ए मैन्स प्लेस) के लिए रेनाडॉट पुरस्कार (Renaudot Prize) जीता था।

अर्थशास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार⇓


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