सल्तनतकालीन शासन - व्यवस्था | सल्तनत काल 1206-1526 ई.

 सल्तनतकालीन शासन - व्यवस्था


यह पोस्ट सल्तनत काल की शासन व्यवस्था से संबधित हैं सल्तनत काल का शासन काल 1206 ई. से लेकर 1526 ई. तक रहा । जिसमें की पाँच वंशो ने शासन किया प्रथम वंश गुलाम वंश था, 1206 ई. लेकर 1290 ई. तक उसके बाद खिल्जी वंश 1290 ई. से लेकर 1320 ई. तक, उसके बाद तुगलक वंश 1320 ई. से लेकर 1398 ई. तक, उसके बाद सैय्यद वंश 1414 ई. से लेकर 1451 ई. तक और सबसे आखरी वंश लोदी वंश था जो कि 1451 ई. से लेकर 1520 ई. तक रहा ।
इन सब वंशो कि शासन व्यवस्था कैसी थी इस बारें इस पोस्ट में बहुत ही आसान तरीके से बताया जा रहा हैं पोस्ट को आखिर तक पढ़े हम आशा करते हैं कि दी जा रही जानकारी आपको जरूर समझ में आएगी ।

सल्तनत काल में  केन्द्रीय प्रशासन का मुखिया सुल्तान था ।
सल्तनत काल में बलबन एवं अलाउद्दीन के समय अमीर प्रभावहीन हो गए थे । 
लोदी वंश के शासनकाल में अमीरों का महत्व चर्मोत्कर्ष पहुँच गया था । 
सल्तनत काल में मंत्रिपरिषद को मजलिस ए खलवत कहा गया हैं । 
मजलिस - ए - खास में मजलिस - ए - खलवत की बैठक होती थी । 
●सल्तनतकाल में सुल्तान सभी दरबारियों , खानों , अमीरों , मालिकों और अन्य रइसों को बार ए खास में बुलाता था ।
बार - ए - आजम में  सुल्तान राजकीय कार्यों का अधिकांश भाग पूरा करता था । 

मंत्री एवं उससे संबंधित विभाग- 
सल्तनत काल में राजस्व विभाग का प्रमुख होता था- वजीर (प्रधानमत्री)

सल्तनत काल में प्रांतों एवं अन्य विभागों में प्राप्त आय एवं व्यय का लेखा जोखा रखता था- मुशरिफ-ए-मुमालिक (महालेखाकार)

सल्तनत काल में उधार दिए गए धन का हिसाब किताब रखता था- मजमुआदर

सल्तनत काल में कोषाध्यक्ष का कार्य खजीन नामक अधिकारी करता था । 

सल्तनत काल में दीवान ए अर्ज अथवा सैन्य विभाग का प्रमुख अधिकारी होता था- आरिज ए मुमालिक

सल्तनत काल में धर्म विभाग एवं दान विभाग का प्रमुख होता था- सद्र उस सुदूर  

सल्तनत काल में सुल्तान के बाद न्याय का सर्वोच्च अधिकारी था- काजी उल कजात  

सल्तनत काल में गुप्तचर विभाग का प्रमुख अधिकारी होता था- बरीद ए मुमालिक  

सल्तनत काल में सुल्तान की व्यक्तिगत सेवाओं की देखभाल करता था- वकील ए दर  नामक अधिकारी 

सल्तनत काल में दान विभाग का प्रमुख था- दीवान-ए-खैरात

सल्तनत काल में दास विभाग प्रमुख अधिकारी होता था- दीवान-ए-बंदगान

सल्तनत काल में पेंशन विभाग का प्रमुख अधिकारी होता था- दीवान ए इम्तिहाक

दिल्ली सल्तनत अनेक प्राता में बँटा हुआ था , जिसे इक्ता या सूबा कहा जाता था । यहाँ का शासन नायब  या वली या मुक्ति द्वारा संचालित होता था । 
इक्ताओं को शिको  ( जिलों )में विभाजित किया गया था । जहाँ का प्रमुख अधिकारी शिकदार होता था जो एक सैनिक अधिकारी था । 
शिकों को परगनों में विभाजित किया गया था । आमिल परगने का मुख्य अधिकारी था और मुशरिफ लगान को निश्चित करने वाला अधिकारी ।

एक शहर या 100 गाँवों के शासन की देख - रेख करता था- अमीर - ए - सदा नामक अधिकारी 
प्रशासन की सबसे छोटी इकाई ग्राम होता था ।

सल्तनत काल में सुल्तान की स्थायी सेना को नाम दिया गया था- खासखेल सेना

सल्तनत काल में बारूद की सहायता से गोला फेकने वाली मशीन को कहा जाता था- "मंगलीक" तथा "अर्राद"  

अलाउद्दीन खिलजी ने इक्ता प्रथा को समाप्त किया था ।
इक्ता प्रथा की दुबारा शुरुआत फिरोज तुगलक ने की थी ।

सल्तनत काल में अच्छी नस्ल के घोड़े तुर्की , अरब एवं रूस से मँगाए जाते थे ।

सल्तनत काल में हाथी मुख्यतः मँगाए  जाते थे- बंगाल से  

सल्तनतकालीन कानून आधारित था- शरीयत , कुरान एवं हदीस पर 

सल्तनत काल में मुस्लिम कानून के चार महत्वपूर्ण स्रोत थे- कुरान , हदीस , इजमा एवं कयास
सुल्तान सप्ताह में दो बार दरबार में  न्याय करने के लिए उपस्थित होता था । 

सल्तनत काल में लगान निर्धारित करने की मिश्रित प्रणाली को कहा गया है- मुक्ताई  

भूमि की नाप जोख करने के बाद क्षेत्रफल के आधार पर लगान का निर्धारण कहलाता था- मसाहत 
मसाहत की शुरुआत अलाउद्दीन ने की थी । 

सल्तनत काल में पूर्णतः केन्द्र के नियंत्रण में रहने वाली भूमि कहलाती थी- खालसा भूमि 
अलाउद्दीन ने दान दी गई अधिकाश भूमि को छीनकर खालसा भूमि में परिवर्तित कर दिया था  ।

सल्तनत काल में अन्तरराष्ट्रीय बन्दरगाह के रूप में प्रसिद्ध था- देवल  

सल्तनत काल में बनाएं गए प्रमुख विभाग-
दीवान ए मुस्तखराज वित्त विभाग की स्थापना की थी- अलाउद्दीन खिलजी ने 
दीवान ए - काही ( कृषि विभाग ) की स्थापना की थी- मुहम्मद बिन  तुगलक ने 
दीवान ए अर्ज (सैन्य विभाग) की स्थापना की थी- बलबन ने 
दीवान ए बंदगान नामक विभाग की स्थापना  की थी- फिरोजशाह तुगलक ने 
दीवान ए खैरात नामक विभाग की स्थापना की थी- फिरोजशाह तुगलक ने
दीवान ए इस्तिहाक नामक विभाग की स्थापना की थी- फिरोजशाह तुगलक ने

सल्तनत काल की कर व्यवस्था-
मुसलमानों से लिया जाने वाला भूमि कर था- उश्र कर 
गैर - मुसलमानों से लिया जाने वाला भूमि कर था- खराज कर 
मुसलमानों पर लगाया जाने वाला धार्मिक कर ( सन्यत्ति का 40 वाँ हिस्सा ) था- जकात कर 
गैर - मुसलमानों पर लगाया जाने वाला धार्मिक कर था- जजिया कर 

खम्स कर- यह लूटे गए धन खानों अथवा भूमि में गड़े हुए खजानों से प्राप्त सम्पत्ति का 1/5 भाग था जिसपर सु सुल्तान का अधिकार या तथा शेष 4 / 5 भाग पर उसके सैनिकों , अथवा खजाने को प्राप्त करने वाले व्यक्ति का अधिकार होता था , परंतु फिरोज तुगलक को छोड़कर अन्य सभी शामको  ने 4/5 हिस्सा स्वयं अपने लिये रखा सुल्तान सिकंदर लोदी ने गड़े हुए खजानों में से कोई हिस्सा नहीं लिया 

सल्तनत काल में कुछ प्रसिद्ध स्थलों के नाम-
अच्छी किस्म के चावल के लिए प्रसिद्ध था- सरसुती 
व्यापारियों का तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध था- अंहिवाड़ा 
रेशमी रजाइयों के लिए प्रसिद्ध था- सतगाँव 
नील उत्पादन के लिए प्रसिद्ध था- आगरा 
सोने चाँदी व जड़ी के लिए प्रसिद्ध था- बनारस 

⧭आशा करते है कि दी गयी जानकारी आपको समझ आई होगी । पोस्ट के बारे आपकी क्या प्रतिक्रिया हैं इसके इसके लिए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर बताएं 

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