तुगलक वंश 1320-1398 ई | दिल्ली सल्तनत

तुगलक वंश 1320-1398 ई. दिल्ली सल्तनत 

इस पोस्ट में तुगलक वंश के बारे में जानेंगे । तुगलक वंश की स्थापना गयासुद्दीन तुगलक ने की थी तुगलक वंश का अंतिम शासक नसीरुद्दीन महमूद तुगलक था । तुगलक वंश 1320 ई. से लेकर 1398 ई. तक रहा ।
इस पोस्ट में विस्तार से जानेंगे कि तुगलक वंश के किस शासक ने क्या किया उनके समय घटी महत्वपूर्ण घटनाओं तथा कार्यो के बारे में बहुत ही आसान तरीके से जानने । दिल्ली सल्तनत में तुगलक वंश एक महत्वपूर्ण वंश था इसलिए पोस्ट को पूरा पढ़े आशा करते है कि दी जा रही जानकारी आपको जरूर समझ में आयेगी ।

गयासुद्दीन तुगलक-
तुगलक वंश का संस्थापक -गयासुद्दीन तुगलक
गयासुद्दीन तुगलक दिल्ली के सिंहासन पर बैठा - 8 सितम्बर, 1320 ई. को
अलाउद्दीन के समय में लिए गए अमीरों की भूमि को पुनः लौटा दिया था -गयासुद्दीन तुगलक ने
गयासुद्दीन तुगलक ने सिंचाई के लिए कुएँ एवं नहरों का निर्माण करवाया ।
संभवतः नहरों का निर्माण करने वाला गयासुद्दीन प्रथम शासक था ।

दिल्ली के समीप स्थित पहाड़ियों पर तुगलकाबाद नाम का एक नया नगर स्थापित किया -गयासुद्दीन तुगलक ने रोमन शैली में निर्मित इस नगर में एक दुर्ग का निर्माण भी हुआ । इस दुर्ग को छप्पनकोट के नाम से भी जाना जाता है ।
गयासुद्दीन तुगलक की मृत्यु हुई - 1325 ई. में बंगाल के अभियान से लौटते समय जूना खाँ द्वारा निर्मित लकड़ी के महल में दबकर 

मुहम्मद बिन तुगलक-
गयासुद्दीन के बाद दिल्ली के सिंहासन पर बैठा -मुहम्मद बिन तुगलक (जूना खाँ)
मध्यकालीन सभी सुल्तानों में जितने भी शासक हुए उनमें सर्वाधिक शिक्षित , विद्वान एवं योग्य व्यक्ति जो था हैं -मुहम्मद तुगलक
अपनी सनक भरी योजनाओं , क्रूर कृत्यों एवं दूसरे के सुख - दुख के प्रति उपेक्षा भाव रखने के कारण स्वप्नशील , पागल एवं रक्तपिपास कहा गया हैं -मुहम्मद बिन तुगलक को
कृषि के विकास के लिए ' अमीर - ए - कोही ' नामक एक नवीन विभाग की स्थापना की -मुहम्मद बिन तुगलक ने
अपनी राजधानी दिल्ली से देवगिरि में स्थानान्तरित की और इसका नाम दौलताबाद रखा -मुहम्मद बिन तुगलक ने
सांकेतिक मुद्रा के अन्तर्गत काँसा ( फरिश्ता के अनुसार ) ताँबा ( बरनी के अनुसार ) धातुओं के सिक्के चलवाए , जिनका मूल्य चाँदी के रुपए टंका के बराबर होता था -मुहम्मद बिन तुगलक ने
मुहम्मद बिन तुगलक को ' प्रिंस आफ मनीअर्स ' की संज्ञा दी -एडवर्ड थॉमस ने
अफ्रीकी ( मोरक्को ) यात्री इब्न बतूता लगभग 1333 ई . में भारत आया -मुहम्मद बिन तुगलक के समय 
इब्न बतूता दिल्ली का काजी नियुक्त किया -मुहम्मद बिन तुगलक ने 
मुहम्मद बिन तुगलक ने इब्न बतूता को अपने राजदूत के रूप में चीन भेजा -1342 ई. में

इब्नबतूता की पुस्तक रेहला में मुहम्मद तुगलक घटनाओं का वर्णन है । इसने अपनी पुस्तक में विदेशी व्यापारियों के आवागमन , डाक चौकियों की स्थापना यानी डाक व्यवस्था एवं गुप्तचर व्यवस्था के बारे में लिखा है ।
जिन प्रभा सूर नामक जैन साधु के साथ विचार - विमर्श किया था -मुहम्मद तुगलक ने
मुहम्मद बिन तुगलक की मृत्यू हुई - 20 मार्च, 1351 ई. को , सिन्ध जाते समय थट्टा के निकट गोडाल में 
दक्षिण भारत में हरिहर एवं बुक्का नामक दो भाइयों ने 1336 ई. में स्वतंत्र राज्य विजयनगर की थापना की थी -मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में
महाराष्ट्र में अलाउद्दीन बहमन शाह ने 1347 ई. में स्वतंत्र बहमनी - राज्य की स्थापना की थी -मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में
मुहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु पर इतिहासकार बदायूँनी लिखता है , " अंततः लोगों को उससे मुक्ति मिली और उसे लोगों से 
मुहम्मद बिन तुगलक शिष्य था -शेख अलाउद्दीन का
सल्तनत का पहला शासक, जो अजमेर में शेख मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह और बहराइच में सालार मसूद गाजी के मकबरे में गया -मुहम्मद बिन तुगलक
बदायूँ में मीरन मुलहीम , दिल्ली में शेख निजामुद्दीन औलिया , मुल्तान में शेख रुकनुद्दीन , अजुधन में शेख मुल्तान आदि संतों की कब्र पर मकबरे बनवाए -मुहम्मद बिन तुगलक ने

फिरोज तुगलक-

फिरोज तुगलक का राज्याभिषेक हुआ - 20 मार्च , 1351 ई . को , थट्टा के नजदीक 
फिरोज तुगलक का पुनः राज्याभिषेक हुआ - अगस्त , 1351 ई. को दिल्ली में 
खलीफा द्वारा कासिम अमीर उल मोममीन की उपाधि दी गई -फिरोज तुगलक को 
राजस्व व्यवस्था के अन्तर्गत फिरोज तुगलक ने अपने शासनकाल में 24 कष्टदायक करों को समाप्त कर केवल चार कर लगायें - 1.खराज 2.खुम्स 3.जजिया 4.जकात 
ब्राह्मणों पर जज़िया लागू करने वाला पहला मुसलमान शासक था -फ्रिरोज तुगलक
फिरोज तुगलक ने एक नया कर सिचाई कर भी लगाया , जो उपज का - 1/10 भाग था ।
बड़ी नहरों का नि र्माण करवाया -फिरोज तुगलक ने
फिरोज तुगलक ने 300 नये नगरों की स्थापना की इनमें प्रमुख हैं - हिसार , फिरोजाबाद (दिल्ली), फतेहाबाद , जौनपुर , फिरोजपुर 
खिज़ाबाद / टोपरा गाँव एवं मेरठ से अशोक के दो स्तम्भों को लाकर दिल्ली में स्थापित किया गया -फिरोज तुगलक के शासनकाल में
अनाथ मुस्लिम महिलाओं , विधवाओं एवं लड़कियों की सहायता के लिए एक नए विभाग - दीवानं ए खैरात की स्थापना की -सुल्तान फिरोज तुगलक ने
सल्तनतकालीन सुल्तानों के शासनकाल में सबसे अधिक दासों की संख्या ( करीब -1,80.000 ) थी -फिरोज तुगलक के समय
दासों की देखभाल के लिए एक नए विभाग - दीवान ए बंदगान की स्थापना की -फिरोज तुगलक ने
दिल्ली सल्तनत में सैन्य पदों को वंशानुगत बना दिया था -फिरोज तुगलक ने
किसने अपनी आत्मकथा फतूहात - ए - फिरोजशाही की रचना की -फिरोज तुगलक ने
जियाउद्दीन बरनी एवं शम्स - ए- शिराज अफीफ को अपना संरक्षण प्रदान किया था -फिरोज तुगलक ने
ज्वालामुखी मंदिर के पुस्तकालय से लूटे गए 1300 ग्रंथों में से कुछ को फारसी में विद्वान अपाउद्दीन द्वारा ' दलायते - फिरोजशाही ' नाम से अनुवाद करवाया -फिरोज तुगलक ने
चाँदी एवं ताँबे के मिश्रण से निर्मित सिक्के भारी संख्या में जारी करवाए , जिसे अद्धा एवं विख कहा जाता था -फिरोज तुगलक ने
फिरोज तुगलक की मृत्यु हुई -सितम्बर, 1388 ई. में 
फिरोज काल में निर्मित खान ए जहाँ तेलंगानी के मकबरा की तुलना की जाती है - जेरुसलम में निर्मित उमर के मस्जिद से 
दिल्ली में कोटला फिरोजशाह दुर्ग का , निर्माण करवाया था - सुल्तान फिरोज तुगलक ने

नासिरुद्दीन महमूद तुगलक-
तुगलक वंश का अंतिम शासक  था - नासिरुद्दीन महमूद तुगलक
तैमूरलंग ने सुल्तान नासिरुद्दीन महमूद तुगलक के समय दिल्ली पर आक्रमण किया -1398 ई. में
मलिकुशर्शक (पूर्वाधिपति) की उपाधि धारण कर एक हिजड़ा मलिक सरवर ने जौनपुर में एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना की - नासिरुद्दीन महमूद तुगलक के समय में

⧭आशा करते है कि दी गयी जानकारी आपको समझ आई होगी । पोस्ट के बारे आपकी क्या प्रतिक्रिया हैं इसके इसके लिए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर बताएं 

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