रसायन विज्ञान(Chemistry)
रसायन विज्ञान से आशय:- रसायन विज्ञान, विज्ञान की एक प्रमुख शाखा है। ऐसा माना जाता है कि रसायन विज्ञान का विकास सर्वप्रथम मिस्र देश में हुआ। प्राचीन काल में मिस्रवासी कांंच, साबुन रंग तथा अन्य रासायनिक पदार्थों के बनाने की विधियां जानते थे तथा इस काल में मिस्र को केमियां कहा जाता था। रसायन विज्ञान जिसे अंग्रेजी में केमिस्ट्री(Chemistry) कहते हैं की उत्पत्ति मिस्र में पाई जाने वाली काली मिट्टी से हुई। इसे वहां के लोग केमि(chemi) कहते थे प्रारंभ में रसायन विज्ञान के अध्ययन को केमिटेकिंग(Chemeteching) कहा जाता था। रसायन विज्ञान के अंतर्गत द्रव के संघटन तथा उसके अति सूक्ष्म कणों की संरचना का अध्ययन किया जाता है।
प्रीस्टले, शीले, लेवायसिये ने रसायन विज्ञान के विकास में अत्यधिक योगदान दिया। लेवासिये को तो आधुनिक रसायन विज्ञान का जन्मदाता भी कहा जाता है।
रसायन विज्ञान की शाखाएं:- रसायन विज्ञान एक प्रायोगिक विज्ञान है जिसका संबंध पदार्थों के अध्ययन से है रसायन विज्ञान के असाधारण विकास को देखते हुए इसे कई उपशाखा में विभक्त कर दिया गया है। इसकी प्रमुख शाखाएं निम्नलिखित हैै-
1- अकार्बनिक रसायन:- इसके अंतर्गत तत्वों व उनसे बनने वाली यौगिकों के बनाने की विधि, गुणधर्म, उपयोग व संघटन का अध्ययन किया जाता है ।
2- कार्बनिक रसायन:- इस शाखा के अंतर्गत मुख्यतः कार्बन व उसके यौगिकों का अध्ययन किया जाता है।
3- भौतिक रसायन:- द्रव्य व ऊर्जा के फलस्वरुप उसमें होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है।
4- विश्लेषिक रसायन:- इसमें विभिन्न पदार्थों की पहचान आयतन व मात्रा का अनुमापन किया जाता है।
5- जैव रसायन:- इसके अंतर्गत जीवधारियों में होने वाली रासायनिक अभिक्रिया और तथा जंतुओ एवं वनस्पतिओ से प्राप्त पदार्थों का अध्ययन किया जाता है।
6:- ओधोगिक रसायन:- इसके अंतर्गत मनुष्य के दैनिक जीवन में प्रयोग की जाने वाली वस्तुओं, जैसे- वार्निश, प्लास्टिक, साबुन, कपड़ा आदि के बनाने की विधियों का अध्ययन किया जाता है।
7:- कृषि रसायन:- कृषि व कृषि कार्य में प्रयुक्त रासायनिक पदार्थों जैसे- खाद, लवण आदि के बनाने की विधियों का अध्ययन किया जाता है।
8:- औषधि रसायन:- इसके अंतर्गत मनुष्य के प्रयोग में आने वाली औषधियों उनके संघटन व बनाने की विधियों का अध्ययन किया जाता है। इसके अलावा रसायन विज्ञान की कुछ अन्य विशिष्टशाखाएं भी है- विघटनाभिक रसायन विज्ञान, वैद्युत रसायन विज्ञान, ध्वनि रसायन विज्ञान, प्रकाश रसायन विज्ञान, वनस्पति रसायन विज्ञान।
रसायन विज्ञान का महत्व:- आज भौतिक जीवन का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं जो रसायन विज्ञान से अछूता हो। खाद्द फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए कई प्रकार के उर्वरक जैसे- यूरिया, अमोनिया सल्फेट, कैल्शियम फास्फेट आदि रसायन विज्ञान की ही देन है। इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य रक्षा व बीमारियों से बचने के लिए कई प्रकार की औषधियां जैसे- सल्फोनय, सल्फाइडाइजीन, सल्फापिरीडीन,सल्फोनामाइड आदि। सुरक्षा व युद्ध में काम आने वाले विस्फोटक, टी.एन.टी., विषैली गैस, डायनामाइट, आदि भी रसायन विज्ञान की देन है।
द्रव की अवस्था एवं वर्गीकरण:- सामान्यता द्रव्य को उसके गुणों के आधार पर तीन अवस्था में विभाजित किया जा सकता है- 1- ठोस 2- द्रव और 3- गैस।
ठोसों का अपना आयतन व आकार दोनों निश्चित होता है। द्रव का आयतन तो निश्चित होता है, परंतु आकार अनिश्चित होता है जबकि गैसों का ना तो कोई आकार होता है और ना ही आयतन निश्चित होता है। द्रव को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न हीं इसे नष्ट किया जा सकता है। इसे सिर्फ विभिन्न अवस्थाओं में परिवर्तित किया जा सकता है।
द्रव्य की कठोरता:- द्रव्य की कठोरता उसमें खरोच की प्रतिरोधक क्षमता पर निर्भर करती है। इस प्रकार की कठोरता का मापन मोहस के कठोरता मापांक के द्वारा किया जाता है।
मोहस स्केल पर कुछ प्रमुख द्रव्यों की कठोरता
द्रव्य कठोरता
हीरा 10
टोपाज 8
सीसा 6.5
एपाराइट 5
फ्लूराइट 4
कैल्साइट 3
अभ्रक 1
कोरण्डम 9
क्वार्ट्ज 7
फेल्सपार 6
ब्रास 3.5
तांबा 2.8
जिप्सम 2
ग्रेफाइट 0.7
वर्गीकरण:- द्रव्य को पहले समांगी और विषमांगी दो भागों में वर्गीकृत किया गया है। समांगी द्रव्य को शुद्ध द्रव्य व बिलयन या समांगी मिश्रण में वर्गीकृत किया गया है। शुद्ध द्रव्य को पुनः तत्व और यौगिक में वर्गीकृत किया गया है।
तत्व(Elements):- एक शुद्ध पदार्थ जो सिर्फ एक ही तरह के परमाणु से मिलकर बना होता है उसे तत्व कहते हैं। इस प्रकार तत्व, द्रव्य का एक ऐसा भाग है, जिसे किसी भी ज्ञात भौतिक व रासायनिक विधियों से न तो दो या दो से अधिक द्रव्यों में विभाजित किया जा सकता है और ना ही बनाया जा सकता है। तत्व सबसे साधारण प्रकार के पदार्थ होते हैं। उदाहरणार्थ- लोहा, तांबा, सोना, चांदी आदि।
इसी प्रकार ऑक्सीजन गैस थी एक तत्व है जो ऑक्सीजन के अणुओं से मिलकर बना होता है। गैसीय तत्व के अन्य उदाहरण- हाइड्रोजन, नाइट्रोजन तथा क्लोरीन है।
पृथ्वी पर अब तक 110 से भी अधिक तत्वों की जानकारी उपलब्ध हो चुकी है।पृथ्वी के पटल का 97.2% भाग केवल 8 तत्वों से निर्मित है जबकि इसके निर्माण में अन्य तत्वों का सहयोग केवल 2.8% का है।
पृथ्वी पर पाए जाने वाले प्रमुख तत्व एवं उनका प्रतिशत
तत्व भूपटल में प्रतिशत भाग
1-ऑक्सीजन 49.9
2-सिलिकॉन 26.0
3-एल्युमिनियम 07.3
4-लोहा 04.1
5-कैल्सियम 03.2
6-सोडियम 02.3
7-पोटैशियम 02.3
8-मैग्नीशियम 02.1
9-अन्य 02.8
मानव शरीर भी विभिन्न तत्वों से निर्मित है शरीर में तत्वों की उपस्थिति व्यक्ति विशेष पर अलग-अलग हो सकती है।
सामान्य मानव शरीर में तत्वों की औसत मात्रा
तत्व प्रतिशत
ऑक्सीजन 65.0
हाइड्रोजन 10.0
कैल्सियम 02.0
पोटैशियम 0.35
सोडियम 0.15
मैग्नीशियम 0.05
कार्बन 18.0
नाइट्रोजन 03.0
फास्फोरस 01.0
सल्फर 0.25
क्लोरीन 0.15
लोहा 0.004
तत्व मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं- धातु और अधातु लगभग 80% तत्व धातु होते हैं।
यौगिक(Compound):- जो द्रव्य दो या दो से अधिक तत्व के निश्चित अनुपात में परस्पर क्रिया के संयोग से बनते हैं व जो साधारण विधि से पुनः तत्वों में विभाजित किए जा सकते हैं यौगिक कहलाते हैं। यौगिक के गुण, इसके संघटक तत्वों के गुणों से बिल्कुल भिन्न होते हैं। पानी, नमक, चीनी, अल्कोहल, क्लोरोफॉर्म आदि यौगिक के उदाहरण है। यौगिकों में उपस्थित तत्वों का अनुपात सदैव एक समान रहता है, चाहे वह यौगिकों किसी भी स्त्रोत से क्यों न प्राप्त किया गया हो। जैसे- जल में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन 2:1 के अनुपात में पाए जाते हैं।
मिश्रण(Mixture):- दो या दो से अधिक तत्वों अथवा यौगिकों को किसी भी अनिश्चित अनुपात में मिलाने से जो द्रव्य प्राप्त होता है उसे मिश्रण कहते हैं। मिश्रण में उपस्थित विभिन्न घटकों के गुण बदलते नहीं है। जैसे- दूध, बालू, चीनी का जलीय विलियन, बारूद, मिट्टी आदि विभिन्न प्रकार के मित्रों के उदाहरण हैं। मिश्रण दो प्रकार के होते हैं- 1-समांगी मिश्रण और 2- विषमांगी मिश्रण।
समांगी मिश्रण के प्रत्येक भाग के गुण-धर्म एक समान होते हैं, जैसे चीनी या नमक का जलीय विलयन, कापर सल्फेट का जलीय विलयन आदि, दूसरी ओर विषमांगी मिश्रण के प्रत्येक भाग के गुण व उनके संघटक भिन्न-भिन्न होते हैं, जैसे- बारूद।
मिश्रणों को अलग करना:- मिश्रण में उपस्थित घटकों को विभिन्न विधियों द्वारा अलग/अलग किया जा सकता है। कुछ सामान विधियां निम्नलिखित है-
1-क्रिस्टल:- यह विधि अकार्बनिक ठोसों के पृथक्करण व शुद्धिकरण के लिए प्रयुक्त होती है।
2-आसवन:- आसवन विधि में मुख्यतः द्रवों के मिश्रण को पृथक किया जाता है।
3-उर्ध्वपातन:- सामान्यत: ठोसों को गर्म करने पर वे पहले द्रव अवस्था में परिवर्तन होते हैं। उसके पश्चात गैस अवस्था में। लेकिन कुछ ठोस पदार्थ ऐसे होते हैं जिन्हें गर्म किए जाने पर वे द्रव अवस्था में आने की बजाय सीधे वाष्प में बदल जाते हैं और वास्तु को ठंडा किए जाने पर पुनः ठोस अवस्था में हो जाते हैं। ऐसे पदार्थों को उर्ध्वपातज कहते हैं व इस क्रिया को उर्ध्वपातन कहते हैं।
4- प्रभाजी आसवन:- प्रभाजी आसवन के द्वारा उन मिश्रित द्रवों को पृथक करते हैं, जिनके क्वथनांक में अंतर बहुत कम होता है अर्थात द्रवों के क्वथनांक एक दूसरे के समीप होते हैं।
5-भाप आसवन:- भाप आसवन के द्वारा ऐसे कार्बनिक को शुद्ध किया जाता है, जो जल में अघुलनशील होते हैं परंतु भाप के साथ वाष्पशील होते हैं।
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3 Comments
Very nice dear😊
ReplyDeleteGood
ReplyDeleteGood work
ReplyDeleteThanks for comment