Lesson-12, भाषा एकमात्र अनन्त है।

UP Board Class-10 Hindi( काव्य/पद्य खण्ड) Lesson-12, भाषा एकमात्र अनन्त है, कवि- श्री अशोक वाजपेयी [संदर्भ, प्रसंग, व्याख्या, काव्यगत सौन्दर्य, शब्दार्थ] exam oriented.


🚢Chapter-12🚢

🌍Part-2🌏

🏝भाषा एकमात्र अनन्त है🏝

🛥श्री अशोक वाजपेयी🛥

📚हिंदी(काव्य-खण्ड)📚


प्रश्न 1.
फूल झरता है। 
फूल शब्द नहीं! 
बच्चा गेंद उछालता है, 
सदियों के पार 
लोकती है उसे एक बच्ची!

सन्दर्भ- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक 'हिन्दी' के 'काव्य-खण्ड में संकलित 'भाषा एकमात्र अनन्त है' शीर्षक कविता से ली गई हैं। इन पंक्तियों के रचयिता श्री अशोक वाजपेयी जी हैं।

व्याख्या- कवि का कहना है कि भाषा ही एकमात्र अनन्त है, जिसका अन्त नहीं है। फूल वृक्ष से टूटकर पृथ्वी पर गिरते हैं, उसकी पंखुड़ियाँ टूटकर बिखर जाती हैं और अन्ततः फूल मिट्टी में ही विलीन हो जाता है। वह प्रकृति से जन्मा है और अन्त में प्रकृति में ही लीन हो जाता है। फूल की तरह शब्द विलीन नहीं होते। सदियों के पश्चात् भी भाषा का अस्तित्व बना रहता है। यह उसी प्रकार है जैसे एक बालक गेंद को उछालता है और दूसरा उसे पकड़कर पुन: उछाल देता है। आज किसी ने कोई बात कही, सैकड़ों वर्षों बाद परिवर्तित स्वरूप में कोई दूसरा व्यक्ति भी उसी बात को कह देता है। अत: निश्चित है कि भाषा ही एकमात्र अनन्त है, जिसका कोई अन्त नहीं है।


प्रश्न 2.
बूढ़ा गाता है एक पद्य, 
दुहराता है दूसरा बूढ़ा, 
भूगोल और इतिहास से परे 
किसी दालान में बैठा हुआ! 
न बच्चा रहेगा,
ने बूढा, 
न गेंद, न फूल, न दालान 
रहेंगे फिर भी शब्द 
भाषा एकमात्र अनन्त है।

व्याख्या- कवि कहता है कि हमें प्राचीन काल से सम्बन्धित ज्ञान इतिहास और भूगोल जैसे विषयों की सहायता से प्राप्त हो जाता है। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जब इतिहास और भूगोल भी नहीं लिखे गये थे, भाषा का अस्तित्व उस समय भी था। उस समय भी कोई एक वृद्ध व्यक्ति जब कोई पद गुनगुनाता था तो घर के ही किसी अन्य भाग में बैठा हुआ कोई अन्य वृद्ध उसी पद को या अन्य किसी पद को गुनगुना उठता था और इसी माध्यम से भाषा आज तक चलती चली आ रही है। पुनः कवि कहता है न बच्चा रहेगा, न वृद्ध; क्योंकि बच्चा एक समयान्तराल पर वृद्ध हो जाएगा और वृद्ध जीवन छोड़ चुका होगा। न गेंद रहेगा, न ही फूल और न ही दालान क्योंकि ये सभी वस्तुएँ नश्वर हैं। एक-न-एक दिन सभी को समाप्त हो ही जाना है। लेकिन इन सबके समाप्त हो जाने के बाद भी शब्द बने रहेंगे। क्योंकि भाषा ही एकमात्र अनन्त है।

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