UP Board Class-10 Hindi( काव्य/पद्य खण्ड) Lesson-12, युवा जंगल, कवि- श्री अशोक वाजपेयी [संदर्भ, प्रसंग, व्याख्या, काव्यगत सौन्दर्य, शब्दार्थ] exam oriented.
🚢Chapter-12🚢
🌍Part-1🌏
🏝युवा जंगल🏝
🛥श्री अशोक वाजपेयी🛥
📚हिंदी(काव्य-खण्ड)📚
प्रश्न 1.
एक युवा जंगल मुझे,
अपनी हरी उँगलियों से बुलाता है।
मेरी शिराओं में हरा रक्त बहने लगा है।
आँखों में हरी परछाइयाँ फिसलती हैं।
कन्धों पर एक हरा आकाश ठहरा है।
होठ मेरे एक हरे गान में काँपते हैं [2013]
मैं नहीं हूँ और कुछ
बस एक हरा पेड़ हूँ
हरी पत्तियों की एक दीप्त रचना!
सन्दर्भ- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक 'हिन्दी' के 'काव्य-खण्ड में संकलित 'युवा जंगल' शीर्षक कविता से ली गई हैं। इन पंक्तियों के रचयिता श्री अशोक वाजपेयी जी हैं।
व्याख्या- कवि कहता है कि वृक्षों के निरन्तर कटाव को देखकर उसका हृदयं अत्यधिक दुःखी होता है। वह युवा जंगल से स्वयं को आत्मसात-सा कर लेता है। जब युवा जंगल अपनत्व की भावना से छोटी-छोटी शाखाओं रूपी हरी-हरी अँगुलियों से उसे बुलाता है तो धीरे- धीरे उसकी रगों में भी लाल रक्त के स्थान पर हरा रक्त प्रवाहित होता प्रतीत होता है। कवि की आँखों के सामने जो परछाइयाँ आती जाती दीखती हैं, वह भी उसे हरी ही दिखाई पड़ती हैं। धीरे-धीरे उसे ऐसा प्रतीत होने लगता है कि उसने अपने कन्धों पर हरे रंग का एक आकाश ही उठा रखा है। उसके होंठ हरियाली को निहारकर बरबस हरियाली के गान गाने के लिए बुदबुदाने लगते हैं और अकस्मात् उसके मुख से निकल पड़ता है कि वह एक हरे पेड़ के अतिरिक्त और कुछ नहीं है। वह हरी पत्तियों से युक्त ईश्वर की एक प्रभासित रचना है।
प्रश्न 2.
ओ जंगल युवा,
बुलाते हो।
आता हूँ।
एक हरे वसन्त में डूबा हुआ
आऽताऽ हूँ ...।
व्याख्या- कवि युवा जंगल को सम्बोधित करता हुआ कह रहा है कि यदि तुम मुझे बुला रहे हो तो मैं तुम्हारे पास आ रहा हूँ। मैं स्वयं को हरियाली से युक्त वसन्त में पूर्णरूपेण ओत-प्रोत करके आता हूँ। आशय यह है कि कवि उस समय अपने को भी एक वृक्ष के रूप में ही कल्पित कर रहा है।
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