UP Board Class-10 Hindi( काव्य/पद्य खण्ड) Lesson-10, भारत माता का मंदिर यह, कवि- मैथिलीशरण गुप्त [संदर्भ, प्रसंग, व्याख्या, काव्यगत सौन्दर्य, शब्दार्थ] exam oriented.
✍Chapter-10✍
🇮🇳भारत माता का मंदिर यह 🇮🇳
💠मैथिलीशरण गुप्त💠
📚हिंदी(काव्य-खण्ड)📚
भारत माता का मंदिर यह
प्रश्न 1.
भारत माता का मंदिर यह
समता का संवाद जहाँ,
सबका शिव कल्याण यहाँ है
पावें सभी प्रसाद यहाँ।
जाति-धर्म या संप्रदाय का,
नहीं भेद व्यवधान यहाँ,
सबका स्वागत, सबका आदर
सबका सम सम्मान यहाँ।
राम रहीम, बुद्ध, ईसा की,
सुलभ एक सा ध्यान यहाँ,
भिन्न-भिन्न भव संस्कृतियों के
गुण गौरव का ज्ञान यहाँ।।
व्याख्या-: इन पंक्तियों में कवि अपने देश (भारतभूमि) को भारत माता का मंदिर बताते हुए कहता है कि भारत माता का यह ऐसा मंदिर है जिसमें समानता की ही चर्चा होती है। यहाँ पर सभी के कल्याण की वास्तविक कामना की जाती है और यहीं पर सभी को परम सुख रूपी प्रसाद की प्राप्ति होती है।
इस मंदिर की यह विशेषता है कि यहाँ पर जाति-धर्म या संप्रदाय वाद का कोई भेदभाव नहीं है यानि इस मंदिर में ऐसा कोई व्यवधान या समस्या नहीं है कि कौन किस वर्ग का है। सभी समान हैं, सभी का स्वागत है और सभी को बराबर सम्मान है। कोई किसी भी सम्प्रदाय को मानने वाला हो; चाहे वह हिन्दुओं के इष्टदेव राम हों, मुस्लिमों के इष्ट रहीम हों, चाहे बौद्धों के इष्ट बुद्ध हों या चाहे ईसाइयों के इष्ट ईसामसीह हों यानि इस मंदिर में सभी को बराबर सम्मान है, सभी के स्वरूप का बराबर-बराबर चिन्तन किया जाता है। सभी की ही बराबर पूजा की जाती है। भारत माता के इस पावन मंदिर में सम्पूर्ण संस्कृतियों का समावेश है।
प्रश्न 2.
नहीं चाहिए बुद्ध बैर की
भला प्रेम का उन्माद यहाँ
सबका शिव कल्याण यहाँ है,
पावें सभी प्रसाद यहाँ ।
सब तीर्थों का एक तीर्थ यह
हृदय पवित्र बना लें हम
आओ यहाँ अजातशत्रु बन,
सबको मित्र बना लें हम।।
व्याख्या-: उक्त पंक्तियों में कवि कह रहा है कि हमें ऐसी उन्नति कदापि प्रिय नहीं है जो ईष्या से युक्त हो। इस भारत माता के मंदिर में सबके कल्याण और प्रेम का अत्यधिक अनुराग भरा पड़ा है। यहाँ पर सभी का मंगल कल्याण हो और यहीं पर सभी को परम सुखरूपी प्रसाद की प्राप्ति होती है।
यह भारत माता का मंदिर सभी तीर्थों में उत्तम तीर्थ है क्योंकि यह किसी एक संप्रदाय या किसी धर्म से जुड़ा तीर्थ नहीं है । यद्यपि इसमें सभी तीर्थों का समावेश है, इसलिए इस तीर्थ का भ्रमण करके अपने हृदय को हम पवित्र बना लें। यह ऐसा पवित्र व उत्तम स्थान है जहाँ पर कोई किसी का शत्रु नहीं है। इसलिए यहाँ बसकर हम सबको अपना मित्र बना लें।
प्रश्न 3.
बैठो माता के आँगन में
नाता भाई-बहन का
समझे उसकी प्रसव वेदना
वही लाल है माई का।
एक साथ मिल बाँट लो
अपनी हर्ष विषाद यह है
सबका शिव कल्याण यह है,
पावें सभी प्रसाद यहाँ।।
व्याख्या-: प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि यहाँ (भारत में) निवास करने वाले लोगों से कहता है कि आइए माँ के इस पवित्र सदन में बैठिए। हम सबका यहाँ पर भाई-बहन का रिश्ता है और हमारा कर्तव्य है कि हम सब अपनी माँ (भारत माता) के कष्टों को महसूस करें; क्योंकि सच्चा पुत्र वही होता है जो अपनी माता के कष्टों को समझता है तथा उसके लिए हर क्षण समर्पण की भावना अपने मन में रखता है। हम सभी का यह उद्देश्य होना चाहिए कि किसी को किसी प्रकार का कष्ट न हो। सभी एक-दूसरे के सहयोग के लिए तैयार रहें। क्योंकि यह भारत माता का मंदिर है इसलिए यहीं पर हम सबका मंगल कल्याण है और यहीं पर सभी को परम सुख रूपी प्रसाद भी प्राप्त है।
प्रश्न 4.
मिला सेव्य का हमें पुजारी
सकल काम उस न्यायी का
मुक्ति लाभ कर्त्तव्य यहाँ है
एक-एक अनुयायी का।
कोटि-कोटि कंठों से मिलकर
उठे एक जयनाद यहाँ
सबका शिव कल्याण यहाँ है
पावें सभी प्रसाद यहाँ।।
व्याख्या-: इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कह रहे हैं कि हमारा परम सौभाग्य है हमें इस पावन भूमि (भारत) में जन्म मिला और भारत माता की सेवा करने का सुअवसर प्राप्त हुआ। यह ईश्वर की हमारे ऊपर बहुत बड़ी कृपा है। यहाँ के प्रत्येक अनुयायी का यह कर्तव्य बनता है कि वह इस मौके का सम्पूर्ण लाभ उठाकर मुक्ति प्राप्त करें। भारत माता के इस पावन मंदिर में करोड़ों स्वर एक साथ मिलकर जयघोष करते हैं। भारत माता के इस पावन मंदिर में सबके मंगलकारी कल्याण की कामना की जाती है और सभी को यहाँ परमसुख रूपी प्रसाद की प्राप्ति होती है।
1 टिप्पणियाँ
Sab teerthon ka ak teerth yah hadya pavitra bana len ham
जवाब देंहटाएंAajau tha ajatashatru ban,
Sabka Mitra bana len ham|
Rekhankan prastut hai, apane
Man ke chitra bana len ham|
So-so aadarshon ko lekar
Ak charitra bana len ham|
Man
Thanks for comment