Lesson-5 चंद्रलोक में प्रथम बार

UP Board Class-10 Hindi( काव्य/पद्य खण्ड) Lesson-5 (चंद्रलोक में प्रथम बार), कवि- सुमित्रानंदन पंत [ संदर्भ, प्रसंग, व्याख्या, काव्यगत सौन्दर्य, शब्दार्थ] exam oriented.Part-2


✍Chapter-5 ✍

🌜चंद्रलोक में प्रथम बार🌛

🌜(सुमित्रानंदन पंत)🌛

🪐हिंदी(काव्य-खण्ड)🪐

🌝Part-2🌝



चंद्रलोक में प्रथम बार

प्रश्न 1.
चंद्रलोक में प्रथम बार, 
मानव ने किया पदार्पण, 
छिन्न हुए लो, देश काल के, 
दुर्जय बाधा बंधन 
दिगविजयी मनु-सुत, निश्चय, 
यह महत् ऐतिहासिक क्षण, 
भू-विरोध हो शांत, 
निकट आये सब देशों के जन [2015] 

सन्दर्भ:- प्रस्तुत पंक्तियाँ कविवर सुमित्रानन्दन पन्त द्वारा रचित 'ऋता' नामक काव्य-संग्रह से हमारी पाठ्य-पुस्तक 'हिन्दी के 'काव्य-खण्ड' में संकलित 'चंद्रलोक में प्रथम बार' शीर्षक से अवतरित हैं।

व्याख्या:- कवि कहता है कि जब चन्द्रमा पर प्रथम बार मानव ने अपने कदम रखे तो ऐसा करके उसने देश-काल के उन सारे बन्धनों, जिन पर विजय पाना कठिन माना जाता था, छिन्न-भिन्न कर दिया। मनुष्य को यह आशा बँध गयी कि इस ब्रह्माण्ड में कोई भी देश और ग्रह-नक्षत्र अब दूर नहीं हैं। यह निश्चय ही मनु के पुत्रों (मनुष्यों) की दिग्विजय है। यह ऐसा महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक क्षण है कि अब सभी देशों के निवासी मानवों को परस्पर विरोध समाप्त करके एक-दूसरे के निकट आना चाहिए और प्रेम से रहना चाहिए। यह सम्पूर्ण विश्व ही अब एक देश में परिवर्तित हो गया है। सभी देशों के मनुष्य अब एक-दूसरे के निकट आएँ, यही कवि की आकांक्षा है।

प्रश्न 2.
युग-युग का पौराणिक स्वप्न
हुआ मानव का संभव, 
समारंभ शुभ नए चन्द्र-युग का 
भू को दे गौरव।। 

व्याख्या:- मनुष्य का युगों-युगों से चन्द्रमा के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है। चन्द्र- विजय से युगों-युगों का पौराणिक स्वप्न अब सम्भव हो गया है। चन्द्रमा के सम्बन्ध में की जाने वाली मानव की मनोरम कल्पनाएँ अब साकार हो उठी हैं। पृथ्वीवासियों को गौरवान्वित करके अब नये चन्द्र युग का कल्याणकारी आरम्भ हुआ है।

प्रश्न 3.
फहराए ग्रह-उपग्रह में 
धरती का श्यामल- अंचल, 
सुख संपद् संपन्न जगत् 
में बरसे जीवन-मंगल । 
अमरीका सोवियत बने । 
नव दिक रचना के वाहन 
जीवन पद्धतियों के भेद 
समन्वित हों, विस्तृत मन।

व्याख्या:- कवि का कथन है कि मैं अब यह चाहता हूँ कि ब्रह्माण्ड के ग्रहों-उपग्रहों में इस पृथ्वी का श्यामलं अंचल फहराने लगे । तात्पर्य यह है कि मनुष्य अन्य ग्रहों पर भी पहुँचकर वहाँ पृथ्वी जैसी हरियाली और जीवन का संचार कर दे। सुख और वैभव से युक्त इस संसार में मानव-जीवन के कल्याण की वर्षा हो। अमेरिका और सोवियत रूस नयी दिशाओं की रचना करें, क्योंकि अन्तरिक्ष विज्ञान में यही देश सर्वाधिक प्रगति पर हैं। कवि का कहना है कि विश्व में प्रत्येक देश की संस्कृति और सभ्यता भिन्न-भिन्न है। तथा अलग-अलग जीवन-पद्धतियाँ हैं। इनकी भिन्नता समाप्त होनी चाहिए। तात्पर्य यह है कि सभी जीवन-पद्धतियाँ आपस में मिलकर एक हो जाएँ। 

प्रश्न 4.
अणु-युग बने धरा जीवन हित 
स्वर्ण-सृजन को साधन, 
मानवता ही विश्व सत्य 
भू राष्ट्र करें आत्मार्पण 
धरा चन्द्र की प्रीति परस्पर 
जगत प्रसिद्ध, पुरातन, 
हृदय- सिन्धु में उठता। 
स्वर्गिक ज्वार देख चन्द्रानन। [2012, 16]

व्याख्या:- कवि का कहना है कि विज्ञान का सम्पूर्ण विकास मानव जीवन के कल्याण के लिए ही होना चाहिए। परमाणु-शक्ति मानव जीवन के विनाश का साधन न होकर पृथ्वी पर स्वर्ग के निर्माण का साधन बननी चाहिए। विश्व का एकमात्र सत्य है— मानवता की भावना । इसके समक्ष पूरी पृथ्वी के राष्ट्र को आत्मसमर्पण कर देना चाहिए। अर्थात् सम्पूर्ण विश्व एक राष्ट्र बने और सम्पूर्ण देश मानवता की ही बात सोचें।
चन्द्रमा और पृथ्वी का प्रेम जगत् प्रसिद्ध है और बहुत पुराना है; क्योंकि चन्द्रमा पृथ्वी का ही एक अंग है। इसीलिए पृथ्वी के सागर रूपी हृदय में चन्द्रमा के मुख को देखकर ज्वार उठा करता है।



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