Lesson-7 छान्दोग्य उपनिषद् षष्ठोध्यायः(आरुणि श्वेतकेतु संवाद)

UP Board Class-10 Hindi (संस्कृत-खण्ड) ससन्दर्भ हिन्दी अनुवाद, अतिलघु-उतरीय संस्कृत प्रश्नोत्तर अध्याय-7 छान्दोग्य उपनिषद् षष्ठोध्यायः(आरुणि श्वेतकेतु संवाद) (संस्कृत-खण्ड)

📚अध्याय - 7 📚

✍छान्दोग्य उपनिषद् षष्ठोध्यायः✍

(आरुणि श्वेतकेतु संवाद)

📗(संस्कृत-खण्ड)📗


🌺ससन्दर्भ हिन्दी अनुवाद:-

Que1 सह द्वादश वर्ष उपेत्य चतुर्विंशति वर्षः सर्वान् वेदानधीत्य महामना अनूचानमिण स्तब्ध आयाय। तं पितोवाच श्वेतकेतो यन्नु सोम्येद महामना अनूचाणमि स्तब्धोऽस्युत तमदेशमप्राक्ष्य। 

सन्दर्भ:- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के 'संस्कृत खण्ड' में संकलित “छांदोग्य उपनिषद् षष्ठोध्याय' से "आरुणि श्वेतकेतु संवाद" नामक पाठ से लिया गया है।

हिन्दी अनुवाद:- कुमार श्वेतकेतु बारह वर्ष तक गुरु के समीप रहते हुए 24 वर्ष की आयु तक सभी वेदों का अध्ययन करके बड़े ही गर्वित भाव से अपने घर वापस आया। तब उसके पिता आरुणि ने कहा हे पुत्र श्वेतकेतु! तुम्हारे द्वारा जो कुछ भी अपने गुरु से सीखा गया है वह मुझे बतलाओ तब पुत्र श्वेतकेतु पिता के द्वारा यह पूछने पर स्तब्ध रह गया। आरुणि ने श्वेतकेतु से पूछा बेटे क्या तुम्हारे गुरु जी ने वह रहस्य भी बताया है, जिससे सारा अज्ञात ज्ञात हो जाता है। श्वेतकेतु वह नहीं जानता था। इसलिए वह स्तब्ध रह गया।

Que2 श्वेतकेतुर्हारुणेय आस तू हैं पितृवाच श्वेतकेतो वस ब्रह्मचर्यम । न वै सौम्यास्मत्कुलीनोऽननूच्य बृहबन्धुरिव भवतीति। 
येनाश्रुतं श्रुतम् भवत्यमतं मतमविज्ञानं विज्ञातंमिति। कथं नु भगवः से आदेशो भवतीति। 

हिन्दी अनुवाद:- आरुणि का पुत्र श्वेतकेतु था। एक दिन आरुणि ने अपने पुत्र श्वेतकेतु से कहा कि बेटा, किसी गुरु के आश्रम में जाकर तुम ब्रह्मचर्य की साधना करो। वहाँ नम्रता पूर्वक सभी वेदों का गहन अध्ययन करो। यही हमारे कुल की परम्परा रही है कि हमारे वंश में कोई भी केवल 'ब्रह्म बन्धु' (अर्थात् केवल ब्राह्मणों का सम्बन्धी अथवा स्वयं वेदों को न जानने वाला) नहीं रहा हैं। आरुणि ने पुत्र श्वेतकेतु से पूछा क्या तुम्हारे गुरु जी ने वह रहस्य तुम्हें समझाया है, जिससे सारा अज्ञात ज्ञात हो जाता है। बिना सुना भी सुनाई देने लगता है। अमत भी मत बन जाता है। बिना विशेष ज्ञात हुआ भी विशिष्ट रूप से ज्ञात हो जाता है। तथा कैसे वह भगवान् का आदेश होता है यह सब कुछ ज्ञान-विज्ञान आदि का रहस्य क्या तुम्हें मालूम है। श्वेतकेतु स्तब्ध रह गया, उसने पिता से निवेदन किया कि हे पिता जी अज्ञात को ज्ञात करने वाले उस रहस्य को आप मेरे लिए आदेश अथवा उपदेश कीजिए। 

Que3 यथा सोम्याकेन नखनिकृन्तनेन सर्वं कार्णायसं विज्ञातं स्याद्वाचा रम्भण विकारो नामधेय कृष्णायसमित्येव सत्यमेव, सोम्य स आदेशो भवतीति।
यथा सोम्याकेन लोहमणिना सर्व लोहमयं विज्ञातं स्याद्वाचारम्भणं विकारो नामधेय लोहमित्येव सत्यम् ।।

हिन्दी अनुवाद:- पिता आरुणि ने कहा- "हे श्वेतकेतु! जिस प्रकार नेलकटर को देखकर उसके काँसे द्वारा बने होने का आभास नहीं किया जा सकता है किन्तु वास्तव में वह काँसे का बना होता है। अर्थात् नेलकटर में काँसत्व है यही सत्य है।
पिता आरुणि ने आगे कहा- "हे श्वेतकेतु! जिस प्रकार चुम्बक को देखकर उसके लोहे द्वारा बने होने का आभास नहीं किया जा सकता है किन्तु वास्तव में वह लोहे का बना होता है। अर्थात् चुम्बक में लौहत्व है यही सत्य है।

Que4 न वै नून भगवन्तस्त एतदवेदीषुर्यद्धयेतद वेदिष्यन् कथं मे नावक्ष्यन्निति भगवान स्त्वेव मे तद्ववीत्विति तथा सोमयेति होवाच ।

हिन्दी अनुवाद:- पिता के ऐसा कहने पर श्वेतकेतु ने कहा- "आप ही मेरे पूजनीय गुरुजी हैं। जिसने उसे इस प्रकार का आत्म बोध कराया।


🌺अतिलघु-उत्तरीय संस्कृत प्रश्नोत्तर:-

प्रश्न 1 श्वेतकेतुः कस्य पुत्रः आसित ? 
या श्वेतकेतुः कः आसीत ?
उत्तर
श्वेतकेतुः आरुणेयपुत्रः आसित ।

प्रश्न 2 कः द्वादशवर्षम् उपेत्य चतुर्विंशतिवर्षः वेदानधीत्य आगतः ?
उत्तर
श्वेतकेतुः द्वादशवर्षम् उपेत्य चतुर्विंशतिवर्ष: वेदानधीत्य आगतः ।

प्रश्न 3 श्वेतकेतुः कतिवर्षाणि सर्वान् वेदान् अपठत् ? 
उत्तर
श्वेतकेतुः द्वादशवर्षाणि सर्वान् वेदान् अपठत् ।

प्रश्न 4 अनुचानमानि कः अभवत्? 
उत्तर
अनुचानमानि  श्वेतकेतुः अभवत् ।

प्रश्न 5 मृत्पिण्डेन किं विज्ञातम् ?
उत्तर
मृत्पिण्डेन सर्वं मृण्मयं विज्ञातम् ।

प्रश्न 6 कुत्र लोहमयं विज्ञातम्?
उत्तर
लोहमणिनी लोहमयं विज्ञातम् ।

प्रश्न 7 कः आरुणिं गुरुरूपेण स्वीकरोति ?
उत्तर
श्वेतकेतुः आरुणिं गुरुरूपेण स्वीकरोति ।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ