लोदी वंश का संस्थापक था - बहलोल लोदी
बहलोल लोदी बहलोल शाहगाजी की उपाधि से दिल्ली के सिंहासन पर बैठा - 19 अप्रैल , 1451 ई . को
दिल्ली पर प्रथम अफगान राज्य की स्थापना का श्रेय दिया जाता है - बहलाल लोदी लोदी को
बहलोल सिक्के का प्रचलन करवाया - बहलोल लोदी ने
अपने सरदारों को 'मकसद-ए-अली' कहकर पुकारता था - बहलोल लोदी
अपने सरदारों के खड़े रहने पर स्वयं भी खड़ा रहता था - बहलोल लोदी
बहलोल लोदी का पुत्र निजाम खाँ सुल्तान सिकन्दर शाह की उपाधि से दिल्ली के सिंहासन पर बैठा - 17 जुलाई , 1489 ई , को
सिकन्दर लोदी ने आगरा शहर की स्थापना की - 1504 ई . में
भूमि के लिए मापन के प्रामाणिक पैमाना गजे सिकन्दरी का प्रचलन किया था - सिकन्दर लोदी ने
'गुलरुखी' शीर्षक से फारसी में कविताएँ लिखा करता था - सुल्तान सिकन्दर लोदी
सिकन्दर लोदी ने दिल्ली को अपनी राजधानी न बनाकर उसने अपनी नई राजधानी बनाया - आगरा को
संस्कृत के एक आयुर्वेद ग्रंथ का फारसी में फरहंगे सिकन्दरी के नाम से अनुवाद हुआ - सिकन्दर लोदी के आदेश पर
सल्तनतकालीन किस शासक ने नगरकोट के ज्वालामुखी मंदिर की मूर्ति को तोड़कर उसके टुकड़ों को कसाइयों को मास तौलने के लिए दे दिया था - सिकन्दर लोदी ने
सल्तनतकालीन किस शासक ने मुसलमानों को ताजिया निकालने एवं मुसलमान स्त्रियों को पीरों तथा संता के मजार पर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था - सिकन्दर लोदी ने
गले की बीमारी के कारण सिकन्दर लोदी की मृत्यु हुई - 21 नवम्बर , 1517 ई . को
सिकन्दर लोदी की मृत्यु के दिन ही आगरा के सिंहासन पर बैठा - इसका पुत्र इब्राहिम इब्राहिम शाह ' की उपाधि से
पानीपत के प्रथम युद्ध में इब्राहिम लोदी बाबर से हार गया - 21 अप्रैल , 1526 ई. को
इब्राहिम लोदी मारा गया - पानीपत के प्रथम युद्ध में
बाबर को भारत पर आक्रमण के लिए निमंत्रण दिया था - पंजाब के शासक दौलत खाँ लोदी एवं इब्राहिम लोदी के चाचा आलम खाँ ने
मोठ की मस्जिद का निर्माण करवाया गया था - सिकन्दर लोदी के वजीर द्वारा
सल्तनतकालीन शासन - व्यवस्था :
सल्तनत काल में केन्द्रीय प्रशासन का मुखिया था - सुल्तान
सल्तनत काल में अमीर प्रभावहीन हो गए थे - बलबन एवं अलाउद्दीन के समय
अमीरों का महत्व चर्मोत्कर्ष पहुँच गया था - लोदी वंश के शासनकाल में
सल्तनतकाल में मंत्रिपरिषद को कहा गया हैं - मजलिस ए खलवत
मजलिस - ए - खलवत की बैठक होती थी - मजलिस - ए - खास में
सुल्तान राजकीय कार्यों का अधिकांश भाग पूरा करता था - बार - ए - आजम में
मंत्री एवं उससे संबंधित विभाग
सल्तनत काल में राजस्व विभाग का प्रमुख वजीर ( प्रधानमत्री ) होता था
मुशरिफ - ए मुमालिक ( महालेखाकार ) - प्रांतों एवं अन्य विभागों में प्राप्त आय एवं व्यय का लेखा जोखा रखता था
मजमुआदर -उधार दिए गए धन का हिसाब किताब रखता था ।
कोषाध्यक्ष का कार्य खजीन नामक अधिकारी करता था
आरिज ए मुमालिक- दीवान ए अर्ज अथवा सैन्य विभाग का प्रमुख अधिकारी होता था ।
धर्म विभाग एवं दान विभाग का प्रमुख सद्र उस सुदूर होता था ।
सुल्तान के बाद न्याय का सर्वोच्च अधिकारी काजी उल कजात था ।
गुप्तचर विभाग का प्रमुख अधिकारी बरीद ए मुमालिक होता था ।
सुल्तान की व्यक्तिगत सेवाओं की देखभाल वकील ए नामक अधिकारी करता था
दीवान - ए - खैरात दान विभाग का प्रमुख था ।
दीवान - ए - बंदगान दास विभाग प्रमुख अधिकारी होता था ।
दीवान - ए इम्तिहाक पेंशन विभाग का प्रमुख अधिकारी होता था ।
दिल्ली सल्तनत अनेक प्राता में बँटा हुआ था , जिसे इक्ता या सूबा कहा जाता था । यहाँ का शासन नायब या वली या मुक्ति द्वारा संचालित होता था ।
इक्ताओं को शिको ( जिलों )में विभाजित किया गया था । जहाँ का प्रमुख अधिकारी शिकदार होता था जो एक सैनिक अधिकारी था ।
शिकों को परगनों में विभाजित किया गया था । आमिल परगने का मुख्य अधिकारी था और मुशरिफ लगान को निश्चित करने वाला अधिकारी ।
एक शहर या 100 गाँवों के शासन की देख - रेख अमीर - ए - सदा नामक अधिकारी करता था ।
प्रशासन की सबसे छोटी इकाई ग्राम होता था ।
सुल्तान की स्थायी सेना को खासखेल नाम दिया गया था
सल्तनत काल में बारूद की सहायता से गोला फेकने वाली मशीन को "मंगलीक" तथा "अर्राद" कहा जाता था
अलाउद्दीन खिलजी ने इक्ता प्रथा को समाप्त किया था ।
इक्ता प्रथा की दुबारा शुरुआत फिरोज तुगलक ने की थी ।
सल्तनत काल में अच्छी नस्ल के घोड़े तुर्की , अरब एवं रूस से मँगाए जाते थे ।
सल्तनत काल में हाथी मुख्यतः बंगाल से मँगाए जाते थे ।
सल्तनतकालीन कानून शरीयत , कुरान एवं हदीस पर आधारित था ।
सल्तनत काल में मुस्लिम कानून के चार महत्वपूर्ण स्रोत थे— कुरान , हदीस , इजमा एवं कयास ।
सुल्तान सप्ताह में दो बार दरबार में न्याय करने के लिए उपस्थित होता था
सल्तनत काल में लगान निर्धारित करने की मिश्रित प्रणाली को मुक्ताई कहा गया है ।
भूमि की नाप जोख करने के बाद क्षेत्रफल के आधार पर लगान का निर्धारण मसाहत कहलाता था ।
मसाहत की शुरुआत अलाउद्दीन ने की थी
सल्तनत काल में पूर्णतः केन्द्र के नियंत्रण में रहने वाली भूमि खालसा भूमि कहलाती थी ।
अलाउद्दीन ने दान दी गई अधिकाश भूमि को छीनकर खालसा भूमि में परिवर्तित कर दिया था ।
सल्तनत काल में अन्तरराष्ट्रीय बन्दरगाह के रूप में देवल प्रसिद्ध था ।
सल्तनत काल में बनाएं गए प्रमुख विभाग
दीवान ए मुस्तखराज वित्त विभाग की स्थापना की थी -अलाउद्दीन खिलजी ने
दीवान ए - काही ( कृषि विभाग ) की स्थापना की थी - मुहम्मद बिन तुगलक ने
दीवान ए अर्ज (सैन्य विभाग) की स्थापना की थी - बलबन ने
दीवान ए बंदगान नामक विभाग की स्थापना की थी - फिरोजशाह तुगलक ने
दीवान ए खैरात नामक विभाग की स्थापना की थी - फिरोजशाह तुगलक ने
दीवान ए इस्तिहाक नामक विभाग की स्थापना की थी थी - फिरोजशाह तुगलक ने
सल्तनत काल की कर व्यवस्था
मुसलमानों से लिया जाने वाला भूमि कर - उश्र कर
गैर - मुसलमानों से लिया जाने वाला भूमि कर - खराज कर
मुसलमानों पर लगाया जाने वाला धार्मिक कर ( सन्यत्ति का 40 वाँ हिस्सा ) - जकात कर
गैर - मुसलमानों पर लगाया जाने वाला धार्मिक कर - जजिया कर
खम्स कर - यह लूटे गए धन खानों अथवा भूमि में गड़े हुए खजानों से प्राप्त सम्पत्ति का 1/5 भाग था जिसपर सु सुल्तान का अधिकार या तथा शेष 4 / 5 भाग पर उसके सैनिकों , अथवा खजाने को प्राप्त करने वाले व्यक्ति का अधिकार होता था , परंतु फिरोज तुगलक को छोड़कर अन्य सभी शामको ने 4/5 हिस्सा स्वयं अपने लिये रखा सुल्तान सिकंदर लोदी ने गड़े हुए खजानों में से कोई हिस्सा नहीं लिया
सल्तनत काल में कुछ प्रसिद्ध स्थलों के नाम
अच्छी किस्म के चावल के लिए प्रसिद्ध था - सरसुती
व्यापारियों का तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध था - अंहिवाड़ा
रेशमी रजाइयों के लिए प्रसिद्ध था - सतगाँव
नील उत्पादन के लिए प्रसिद्ध था - आगरा
सोने चाँदी व जड़ी के लिए प्रसिद्ध था - बनारस
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2 टिप्पणियाँ
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