Lesson-3, जल संसाधन

NCERT Notes for CBSE/UP Class-10 Social Science, (Geography) (Samkalin bharat/समकालीन भारत -2) Chapter-3 जल संसाधन(Water Resource) Notes in hindi.


🌏भूगोल🌍

💦अध्याय-3💦

🌊जल संसाधन🌦


💠जल दुर्लभता के कारण :-
• बड़ी आबादी
• सिंचित क्षेत्र का विस्तार करने के लिए जल संसाधनों का अत्यधिक दोहन किया जा रहा है।
• बढ़ते शहरीकरण और औद्योगीकरण के साथ पानी की अधिक मांग। 
• विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच पानी की असमान पहुंच।  
• उद्योगों द्वारा पानी का अत्यधिक उपयोग। 
•शहरी क्षेत्रों में पानी का अधिक दोहन। 

💠एक नवीकरणीय संसाधन होते हुए भी जल के संरक्षण तथा प्रबंधन की आवश्यकता क्यों है?:- क्योंकि विश्व में केवल 2.5% ही ताजा जल है। जल संसाधनों का अति दोहन, बढ़ती जनसंख्या, अधिक मांग, असमान पहुँच, बढ़ता शहरी करण, औद्योगीकीकरण आदि। 

💠प्राचीन भारत में जलीय कृतियाँ :- 
• ईसा से एक शताब्दी पहले इलाहाबाद के नजदीक श्रिगंवेरा में गंगा नदी की बाढ़ के जल को संरक्षित करने के लिए एक उत्कृष्ट जल संग्रहण तंत्र बनाया गया था।
• चन्द्रगुप्त मौर्य के समय बृहत् स्तर पर बाँध, झील और सिंचाई तंत्रों का निर्माण करवाया गया।
• कलिंग (ओडिशा), नागार्जुनकोंडा (आंध्र प्रदेश) बेन्नूर (कर्नाटक) और कोल्हापुर (महाराष्ट्र) में उत्कृष्ट सिंचाई तंत्र होने के सबूत मिलते हैं।

💠बहुउद्देशीय परियोजनाएँ :- आज कल बांध सिर्फ़ सिंचाई के लिए नही बनाये जाते अपितु उनका उद्देश्य विद्युत उत्पादन, घरेलू और औद्योगिक उपयोग, जल आपूर्ति, बाढ़ नियंत्रण, मनोरंजन, आंतरिक नौचालन और मछली पालन भी हैं। इसलिए बाँधो को बहुउद्देशीय परियोजनाएँ भी कहा जाता हैं। 

💠बाँध :- बहते जल को रोकने, दिशा देने या बहाव कम करने के लिए खड़ी की गई बाधा है जो आमतौर पर जलाशय, झील अथवा जलभरण बनाती है। बाँध का अर्थ जलाशय से लिया जाता है न कि इसके ढाँचे से। 

💠बाँधों से होने वाले लाभ :-
• सिंचाई ।
• विद्युत उत्पादन ।
• घरेलू तथा औद्योगिक आवश्यकता हेतु जल आपूर्ति। 
• बाढ़ नियंत्रण। 
• मनोरंजन तथा पर्यटन। 
• मत्स्य पालन। 

💠जवाहर लाल नेहरू ने 'बाँधों को आधुनिक भारत के मंदिर' क्यों कहा है ?:- उनका मानना था कि इन परियोजनाऔं के चलते कृषि और ग्रामीण, औद्योगिकरण और नगरीय अर्थव्यवस्था समन्वित रूप से विकास करेगी। अर्थव्यवस्था मे बाँधों से अनेक लाभ हैं। ये विकास में योगदान करते हैं इसलिए नेहरू जी ने इन्हें आधुनिक भारत के मंदिर कहा था ।

💠बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना के उद्देश्य:-
• जल विद्युत उत्पादन
• सिंचाई
• घरेलू व औद्योगिक जल आपूर्ति
• नौचालन व पर्यटन
• बाढ़ नियंत्रण
• मछली पालन
• विद्युत उत्पादन
• मनोरंजन तथा पर्यटन। 

💠नर्मदा बचाओ आंदोलन:- नर्मदा नदी के बचाव में नर्मदा बचाओ आन्दोलन चलाया गया। इस आन्दोलन ने बाँधों के निर्माण का विरोध किया। नर्मदा बचाओ आन्दोलन, इन बाँधों के निर्माण के साथ-साथ देश में चल रही विकास परियोजनाओं के औचित्य पर भी सवाल उठाता रहा है। यह नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बाँध निर्माण के विरोध में था। आंदोलन गैर सरकारी संगठन (NGO) द्वारा संचालित थे। 

💠वर्षा जल संग्रहण:- एक तकनीक जिसमें वर्षा जल को खाली स्थानों, घरों में, टैंक में, बेकार पड़े कुएँ में भरा जाता है। बाद में इसका प्रयोग किया जाता है।
पर्वतीय क्षेत्रों में गुल' तथा 'कुल' जैसी वाहिकाओं से नदी की धारा का रास्ता बदलकर खेतों की सिचाई। 

💠वर्षा जल संग्रहण की विधियां :-
• पहाड़ी क्षेत्रों में, लोगों ने कृषि के लिए गुल और कुल जैसी वाहिकाएं बनायीं है।
• पश्चिम बंगाल में बाढ़ के दौरान बाढ़ जल वाहिकाएँ बनाते हैं।
• शुष्क तथा अर्थ शुष्क क्षेत्रों में वर्षा जल एकत्रित करने के लिए गड्ढ़ों का निर्माण ।
• छत पर वर्षा जल संचयन ।
• बीकानेर, फलौदी और बाड़मेर में पीने हेतु भूमिगत टैंक या टाँका ।
• मेघालय में बॉस की ड्रिप सिंचाई प्रणाली ।

💠 छत वर्षा जल संग्रहण:- राजस्थान में छत वर्षा जल संग्रहण तंत्र का हिस्सा होता है जिसे मुख्य घर या आँगन में बनाया जाता था। वे घरों की ढलवा क्षेत्रो से पाइप द्वारा जुड़े हुए थे। छत से वर्षा का पानी इन नलो से होकर भूमिगत टाका तक पहुँचता था जहाँ इसे एकत्र किया जाता था। वर्षा का पहला जल छत और नलो को साफ करने मे प्रयोग किया जाता था और उसे संग्रहित नहीं किया जाता था। इसके बाद होने वाली वर्षा का जल संग्रह किया जाता था। 

💠बॉस ड्रिप सिंचाई प्रणाली :- नदियों व झरनों के जल को बाँस के बने पाइपों द्वारा एकत्रित करके सिंचाई करना बाँस ड्रिप सिचाई कहलाता है। मेघालय मे इस प्रणाली का प्रयोग होता है। 

💠पालर पानी :- वर्षा का पानी जो भूमिगत टैंकों में जमा होता है पीने योग्य पानी हैं। इसे पालर पानी कहा जाता है।

💠भारत के प्रमुख नदी घाटी परियोजना(बाँध):-

भाखड़ा नांगल बाँध - पंजाब (सतलज नदी) 
• हिराकुंड बाँध- ओड़िशा (महानदी)
• तुंगभद्रा बाँध- कर्नाटक व आन्ध्रप्रदेश (तुंगभद्रा नदी)
• टिहरी बाँध- उत्तराखंड (भागीरथी नदी) 
• राणा प्रताप सागर बाँध- राजस्थान (चम्बल नदी) 
• सरदार सरोवर बाँध- गुजरात (नर्मदा नदी) 
• नागार्जुन सागर बाँध- आंध्र प्रदेश (कृष्णा नदी) 
• सलाल बाँध- जम्मू-कश्मीर (चिनाब नदी)। 





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