अध्याय-2 अन्योक्तिविलास:

UP Board Class-10 Hindi (संस्कृत-खण्ड) ससन्दर्भ हिन्दी अनुवाद, अतिलघु-उतरीय संस्कृत प्रश्नोत्तर अध्याय-2, अन्योक्तिविलास:(संस्कृत-खण्ड)

📚अध्याय - 2 📚

✍ अन्योक्तिविलास ✍

📗(संस्कृत-खण्ड)📗


🌺ससन्दर्भ हिन्दी अनुवाद:-

प्रश्न 1. नितरां नीचोऽस्मिति त्वं खेदं कूप कदापि मा कृतः। अत्यंतसरसहृदयो यतः परेषां गुणग्रहीतासि। [2009, 16]

सन्दर्भ- प्रस्तुत श्लोक हमारी पाठ्य पुस्तक 'हिन्दी के संस्कृत खण्ड के अन्योक्तिविलासः पाठ से लिया गया है।

हिन्दी अनुवाद:- हे कुएँ (मैं) अत्यन्त नीचा (गहरा) हैं। इस प्रकार कभी भी दुःख मत करो, क्योंकि (तुम) अत्यन्त सरस हृदय वाले (जलयुक्त) और दूसरों के गुणों (रस्सियों) को ग्रहण करने वाले हो। अर्थात व्यक्ति कितना ही छोटा क्यों न हो यदि वह सरस हृदय और दूसरों के गुणों को ग्रहण करने वाला है तो वह किसी से भी कम नहीं है।

प्रश्न 2. नीर-क्षीर विवेके हंसालस्यं त्वमेव तनुशे चेत्। विश्वस्मिन्नधुनान्यः कुलव्रतं पलयिष्यति कः ॥ [2009, 11, 13, 15, 18]

हिन्दी अनुवाद:- हे हंस! यदि तुम्हीं दूध और पानी को अलग करने में आलस्य करोगे तो इस संसार में दूसरा कौन अपने कुल की मर्यादा का पालन करेगा ।

प्रश्न 3. कोकिल! यापय दयानु तावद् विरसां करीलावितपेषु।
यवन्मिलदलिमलः कोऽपि रसालः समुल्लसति। [2010,11, 13]

हिन्दी अनुवाद:- हे कोयला तब तक अपने नीरस दिनों को करील के पेड़ों पर बिता लो, जब तक भौरों की पंक्ति से युक्त कोई आम का वृक्ष विकसित नहीं हो। 

प्रश्न 4. रे रे चातक! सावधानमनसा मित्र क्षणं श्रूयत्म्। 
अम्बोदा बह्वो हि सन्ति गग्ने सर्वेऽपि नैतादर्शः ॥ 
केचिद् विष्टिभिरारद्रयन्ति वसुधां गर्जन्ति केचिद् वृथा। 
यं यं पश्यसि तस्य तस्य पुरतो मा ब्रूहि दीनं वाचः ॥ [2010, 13, 17]

हिन्दी अनुवाद:- हे मित्र चातक! तुम क्षणभर सावधान चित्त से मेरी बात सुनो। आकाश में बहुत-से बादल रहते हैं, किन्तु सभी ऐसे (उदार) नहीं हैं। उनमें से कुछ ही पृथ्वी को वर्षा से भिगोते हैं और कुछ व्यर्थ में गरजते हैं। तुम जिस-जिस बादल को (आकाश में) देखते हो, उस-उसके सामने अपने दीनतापूर्ण वचन मत कहो।

प्रश्न 5. न वै ताडनात् तापनाद् वह्निमध्ये, 
न वै विक्रयात् क्लिश्यमानोऽहमस्मि । 
सुवर्णस्य मे मुख्यदुःखं तदेकं । 
यतो मां जनाः गुञ्जया तोलयन्ति। 

हिन्दी अनुवाद:- मैं (स्वर्ण) न पीटने से न आग में तपाने से और न बेचने के कारण दुःखी हू। मुझे तो बस एक ही मुख्य दुःख है कि लोग मुझे रत्ती (चुंधची) से तोलते हैं। 

प्रश्न 6. रात्रिर्गमिष्यति भविष्यति सुप्रभातं, 
भास्वानुदेष्यति हसिष्यति पङ्कजालिः ।। 
इत्थं विचिन्तयति कोशगते द्विरेफे, हा हन्त । 
हन्त नलिनीं गज उज्जहार [2012, 14, 16] 

हिन्दी अनुवाद:- (कमलिनी में बन्द भौंरा सोचता है कि) रात व्यतीत होगी। सुन्दर प्रभात होगा। सूर्य निकलेगा। कमलों का समूह खिलेगा। इस प्रकार कमल पुट में बैठे हुए भौरे के ऐसा सोचते-सोचते हाय बड़ा दुःख है कि हाथी उसी कमलिनी को (उखाड़कर) ले गया।


✍अतिलघु-उत्तरीय संस्कृत प्रश्नोत्तर:-

प्रश्न 1. कूपः किमर्थं दुःखम् अनुभवति ? [ 2011, 13]
उत्तर- कूपः नितरां नीचः अस्ति; अतः सः दुःखम् अनुभवति। 

प्रश्न 2. अत्यन्तसरसहृदयो यतः किं ग्रहीतासि ? 
उत्तर- अत्यन्तसरसहृदयो यतः परेषां गुणग्रहीतासि। 

प्रश्न 3. कविः हंस किं बोधयति ?
उत्तर- कवि हंस नीर-क्षीर विभागे आलस्यं न कर्तुं बोधयति ।

प्रश्न 4. कविः कोकिलं किं कथयति (बोधयति) ?
उत्तर- कविः कोकिलं कथयति (बोधयति) यत् वसन्तकालं यावत् कोऽपि रसालः न समुल्लसति तावत् करीलविटपेषु एव सन्तोषं कर्तव्यम्। 

प्रश्न 5. कविः चातकं किम् उपदिशति (शिक्षयति) ? (2010, 12]
उत्तर- कविः चातकम् उपदिशति (शिक्षयति) यत् सः सर्वेषां पुरतः दीनं वचः न ब्रूयात् ।

प्रश्न 6. सुवर्णस्य किं मुख्यदुःखम् अस्ति ? [ 2009, 11, 12, 13, 14, 16, 18] 
उत्तर- जनाः सुवर्णं गुञ्जया सह तोलयन्ति इति सुवर्णस्य मुख्यदुःखम् अस्ति ।

प्रश्न 7. भ्रमरे चिन्तयति गजः किम् अकरोत् ? [2010]
उत्तर- भ्रमरे चिन्तयति गजः नलिनीम् उज्जहार ।

प्रश्न 8. कोशगतः भ्रमरः किम् अचिन्तयत् ? 
उत्तर- कोशगतः भ्रमरः अचिन्तयत् रात्रि: गमिस्यति, सुप्रभात भविष्यति, सुर्यम् उदेषयति, कमलं विकसिष्यति। 

प्रश्न 9. हंसस्य किं कुलव्रतम् अस्ति ? [2013]
उत्तर- हंसस्य कुलव्रतम् नीर-क्षीर विवेकम् अस्ति। 

प्रश्न 10. कीदृशाः अम्भोदाः गगने वसन्ति ?
उत्तर- गगने सर्वे नेतादृशाः अम्भोदा: वसन्ति। केचिद् वसुधां वृष्टिभिः आर्द्रयन्ति केचिद् वृथा गर्जन्ति। 

प्रश्न 11. गजः काम् उज्जहार ? [2010]
उत्तर- गजः नलिनीम् उज्जहार।

प्रश्न 12. नीर-क्षीर विषये हंसस्य का विशेषता अस्ति? [2014, 16] 
उत्तर- नीर-क्षीर-विषये नीर-क्षीर विवेकम् एव हंसस्य विशेषता अस्ति ।

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