Lesson- 8 लोकतंत्र की चुनौतियाँ(Challenges of Democracy)

NCERT Notes for CBSE/UP Class-10 Social Science, Civies(लोकतांत्रिक राजनीति -2) Chapter- 8 लोकतंत्र की चुनौतियाँ(Challenges of Democracy) Notes in hindi

📚लोकतांत्रिक राजनीति -2📚

📚अध्याय = 8 📚

🇮🇳लोकतंत्र की चुनौतियाँ🇮🇳

 Challenges of Democracy 


🌼चुनौती :- वैसी समस्या जो महत्वपूर्ण हो, जिन पर जीत हासिल की जा सके और जिसमें आगे बढ़ने के अवसर छुपे हुए हों, चुनौती कहलाती है। 

🌼लोकतंत्र की चुनौतियाँ :- दुनिया के एक चैथाई हिस्से में अभी भी लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था नहीं है। इन देशों में लोकतांत्रिक सरकार गठित करने के लिए जरूरी बुनियादी आधार बनाने की चुनौती है ।
लोकतंत्र की मुख्य चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं :-
1. बुनियादी आधार की चुनौती :- इस चुनौती में मौजूदा गैर-लोकतांत्रिक सरकार को गिराने, सत्ता पर सेना के नियंत्रण को समाप्त करने और एक सम्प्रभु तथा कारगर शासन व्यवस्था को स्थापित करने की चुनौती है।
2. विस्तार की चुनौती :- इस चुनौती में लोकतांत्रिक शासन के बुनियादी सिद्धांतो को सभी क्षेत्रों, सभी सामाजिक समूहों और विभिन्न संस्थाओं में लागू करना शामिल हैं।
3. लोकतंत्र को मजबूत करने की चुनौती :- इस चुनौती में लोकतांत्रिक संस्थाओं और बरतावो को मजबूत बनाना शामिल है।

🌼लोकतंत्र को कैसे मजबूत किया जा सकता:- 
• लोकतांत्रिक संस्थाओं और उनकी कार्य पद्धतियों को मजबूत बनाना ।
• लोगों द्वारा लोकतंत्र से जुड़ी अपनी उम्मीदों को पूरा करना ।
• लोगों की भागीदारी में वृद्धि। 
• सरकारी फैसलों में पारदर्शिता द्वारा।

🌼भारतीय लोकतंत्र की चुनौतियां :-
🔸भ्रष्टाचार
🔸जातिवाद
🔸क्षेत्रवाद
🔸भाषावाद
🔸आतंकवाद

🌼लोकतांत्रिक व्यवस्था की कमियों को दूर करने के तरीके:-
🔸बेहतर कानून बनाकर सुधार लाना
🔸चुनावी खर्च को लेकर बनाए गए कानून का कड़ाई से पालन करना ।
🔸अपराधी प्रवृत्ति के लोगों पर राजनीति में प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध। 
🔸दल बदल करने पर उसकी सदस्यता समाप्त करना ।
🔸राजनीतिक दलों के चंदे को सूचना का अधिकार कानून के अंतर्गत लाना ।
🔸पार्टी के भीतर आंतरिक लोकतंत्र को हर हाल में बहाल करना। 

🌼लोकतंत्र में राजनीतिक सुधार:-
अर्थ:- लोकतंत्र की विभिन्न चुनौतियों के बारे में दिेए गये सभी सुझाव या प्रस्ताव लोकतांत्रिक सुधार या राजनीतिक सुधार कहे जाते हैं। इसमे निम्नलिखित प्रकार से सुधार किये जा सकते हैं।
🔸कानून बनाकर राजनीति को सुधारना।
🔸सावधानी से बनाए गए कानून गलत राजनीतिक आचरणों को हतोत्साहित और अच्छे कामकाज को प्रोत्साहित करेंगे।
🔸कानूनी बदलाव करते समय इस बात पर भी विचार करना होगा कि राजनीति पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा। कई बार प्रभाव एकदम उलटे निकलते हैं, जैसे कई राज्यों ने दो से ज्यादा बच्चों वाले लोगों के पंचायत चुनाव लडने पर रोक लगा दी है। इसके कारण अनेक गरीब लोग और महिलाएँ चुनाव लडने के लोकतांत्रिक अवसर से वंचित हुए हैं।
🔸सबसे बढ़िया कानून वे है जो लोगों को लोकतांत्रिक,अधिकारो मे सुधार करने की ताकत देते हैं।
सूचना का अधिकार कानून लोगों को जानकार बनाने और लोगों को लोकतंत्र के रखवाले के तौर पर सक्रिय करने का अच्छा उदाहरण है।
🔸लोकतांत्रिक सुधार राजनीतिक दल ही करते है। इसलिए राजनीतिक सुधारों का जोर मुख्यत: लोकतांत्रिक कामकाज को ज्यादा मजबूत बनाने पर होना चाहिए।
🔸राजनीतिक सुधार के किसी भी प्रस्ताव में यह सोच भी होनी चाहिए कि इन्हें कौन लागू करेगा और क्यों लागू करेगा।


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