अध्याय-3 लोकतंत्र और विविधता(Democracy and Diversity)

NCERT Notes for CBSE/UP Class-10 Social Science, Civies(लोकतांत्रिक राजनीति -2) Chapter-3 लोकतंत्र और विविधता (Democracy and Diversity) Notes in Hindi

Civies(लोकतांत्रिक राजनीति -2)

📚अध्याय - 3📚

🇮🇳लोकतंत्र और विविधता🇮🇳

Democracy and Diversity

💠अमरीका में नागरिक अधिकार आंदोलन (1954-1968):- इसका उद्देश्य एफ्रो अमरीकी लोगों के विरूद्ध होने वाले नस्ल आधारित भेदभाव को मिटाना था मार्टिन लूथर किंग जूनियर की अगुवाई में लड़े गए इस आंदोलन का स्वरूप पूरी तरह  अहिंसक था । इसने नस्ल के आधार पर भेद भाव करने वाले कानूनों और व्यवहार को समाप्त करने की माँग उठाई जो अंततः सफल हुई। 

💠टॉमी स्मिथ और जॉन कार्लोस ने 1968 के मैक्सिको ओलंपिक खेल में, संयुक्त राज्य अमेरिका में होने वाले रंगभेद के मसले के प्रति अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी का ध्यान किस प्रकार आकर्षित किया?:- 
• बिना जूतों के केवल मोजे पहनकर अश्वेतों की गरीबी को दर्शाया।
• स्मिथ ने अश्वेत लोगों के आत्मगौरव को बताने के लिए अपने गले में काला मफलर पहना था।
• कार्लोस ने मारे गए अश्वेतों की याद में काले मनकों की एक माला पहनी थी।
• काले दस्ताने और बंधी हुई मुट्ठियों के द्वारा अश्वेत शक्ति को दर्शाया

💠अश्वेत शक्ति आन्दोलन :- यह आंदोलन 1966 में उभरा और 1975 तक चलता रहा। नस्लवाद को लेकर इस आंदोलन का रवैया ज्यादा उग्र था । इसका मानना था कि अमरीका से नस्लवाद मिटाने के लिए हिंसा का सहारा लेने में भी हर्ज नहीं है।

💠एफ्रो अमरीकी :- एफ्रो अमरीकन, अश्वेत अमरीकी या अश्वेत शब्द उन अफ्रीकी लोगों के वंशजो के लिए प्रयुक्त होता है जिन्हें 17 वीं सदी से लेकर 19 वीं सदी की शुरूआत तक अमरीका में गुलाम बनाकर लाया गया था।

💠नस्लभेद :- किसी देश अथवा समाज में नस्ल के आधार पर कुछ लोगों को नीच या हीन समझना। 

💠सामाजिक विविधता :- किसी भी समाज में विविधता तभी आती है जब उस समाज में विभिन्न आर्थिक तबके, धार्मिक समुदायों, विभिन्न भाषाई समूहों, विभिन्न संस्कृतियों और जातियों के लोग रहते हैं।
भारत देश विविधताओं का एक जीता जागता उदाहरण है। इस देश में दुनिया के लगभग सभी मुख्य धर्मों के अनुयायी रहते हैं। यहाँ हजारों भाषाएँ बोली जाती हैं, अलग-अलग खान पान हैं। अलग-अलग पोशाक और तरह तरह की संस्कृति दिखाई देती है।

💠सामाजिक भेदभाव की उत्पत्ति के प्रमुख कारण :-
• जन्म पर आधारित : हम सिर्फ इस आधार पर उस समुदाय के सदस्य हो जाते हैं जिसमें हमारा जन्म हुआ है। 
• पसंद या चुनाव पर आधारित: जैसे धर्म, व्यवसाय खेल इत्यादि का चुनाव हम अपनी पसंद से करते हैं।
• सोचने के अलग अलग ढंग। 

💠सामाजिक विभाजन :- जो विभाजन क्षेत्र, जाति, रंग, नस्ल, लिंग आदि के भेद पर किया जाए उसे सामाजिक विभाजन कहते हैं। 

💠सामाजिक अंतर कब और कैसे सामाजिक विभाजनों का रूप ले लेते हैं ?:-
• जब कुछ सामाजिक अंतर दूसरी अनेक विभिन्नताओं से ऊपर और बड़े हो जाते हैं।
• अमेरिका में श्वेत और अश्वेत के बीच भारी अंतर है जो सामाजिक विभाजन का मुख्य कारण है।
• जब एक तरह का सामाजिक अंतर अन्य अंतरों से ज्यादा महत्वपूर्ण बन जाता है।

💠विभिन्नताओं में सामंजस्य व टकराव :-
सामंजस्य :-
• इसके अंतर्गत सामाजिक विभिन्नताओं में एकता दिखाई देती है।
• इसमें लोग यह महसूस करने लगते हैं कि वे विभिन्न समुदायों से संबंध रखते हैं।
• इससे गहरी सामाजिक विभाजन की संभावना घट जाती है।
• जैसे :- अमेरिका में श्वेत और अश्वेत का अंतर। 
टकराव :-
इसके अंतर्गत सामाजिक विभिन्नताओं से टकराव उत्पन्न होता है ।
• इसमें कई समूह एक मुद्दे पर समान नजरिया रखते हैं तो दूसरे मुद्दे पर उनके नजरियों में अंतर हो जाता है।
• इसमें सामाजिक विभाजन की संभावना बढ़ जाती है ।
• जैसे :- नीदरलैंड में वर्ग और धर्म के बीच ऐसा
मेल नहीं दिखाई देता है।

💠समरूप समाज :- एक ऐसा समाज जिसमें सामुदायिक, सांस्कृतिक या जातीय विभिन्नताएँ ज्यादा गहरी नहीं होती। 

💠सामाजिक विभाजनों की राजनीति के परिणाम तय करने वाले कारक :- सामाजिक विभाजनों की राजनीति का परिणाम तीन चीज़ों पर निर्धारित करता है:-
1. लोगों में अपनी पहचान के प्रति आग्रह की भावना:- अगर लोग खुद को सबसे विशिष्ट और अलग मानने लगते हैं तो उनके लिए दूसरों के साथ तालमेल बैठाना बहुत मुश्किल हो जाता है।
2. राजनीतिक दलों का संविधान के दायरे में रहकर कार्य करना:- संविधान के दायरे में आने वाली ओर दूसरे समुदाय को नुकसान न पहुंचाने वाली मांगों को मान लेना आसान है।
3. सरकार का रुख:- सरकार विभिन्न सामाजिक वर्गों के प्रति कैसा रूख अपनाती है। 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ