UP/NCERT Notes for CBSE/UP Class 10 Social Science/Civies(लोकतांत्रिक राजनीति -2),Lesson-1,power of sharing (सत्ता की साझेदारी)
⚖️📚पाठ -1📚⚖️
📝सत्ता की साझेदारी(Power of sharing)📝
• बेल्जियम की कहानी
• श्रीलंका की कहानी
• श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद
• बेल्जियम की समझदारी
• सत्ता की साझेदारी क्यों जरुरी है?
• सत्ता की साझेदारी के रूप।
✴️सत्ता की साझेदारी से आशय:- जब किसी शासन व्यवस्था में हर सामाजिक समूह और समुदाय की भागीदारी सरकार में होती है तो इसे में सत्ता की साझेदारी कहते हैं। अथवा
एक ऐसी कुशल राजनीतिक पद्धति जिसके द्वारा समाज के सभी वर्गों को देश की शासन प्रक्रिया में भागीदार बनाया जाता है। वही प्रक्रिया सत्ता की साझेदारी कहलाती है।
बेल्जियम की कहानी/बेल्जियम की सामाजिक जातीय बनावट:- बेल्जियम यूरोप का एक छोटा सा देश है जिसकी आबादी एक करोड़ से थोड़ी अधिक है। इसकी सीमाएँ फ्रांस, नीदरलैंड, जर्मनी, और लक्समबर्ग से लगती हैं। परंतु इसके समाज की बनावट बहुत जटिल है।इसमें रहने वाले 59% लोग डच भाषा बोलते हैं 40% लोग फ्रेंच बोलते हैं बाकी 1% लोग जर्मन बोलते हैं।
श्रीलंका की कहानी/श्रीलंका के समाज की जातीय बनावट:-श्रीलंका एक द्वीपीय देश है जो भारत के दक्षिणी तट से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बेल्जियम की भांति यहां भी कई जातिय समूहों के लोग रहते हैं। देश की आबादी का कोई 74% भाग सिहलियों का है जबकि 18% लोग तमिल हैं। बाकी भाग अन्य छोटे-छोटे जातीय समूहों जैसे ईसाइयों और मुसलमानों का है।
✴️बहुसंख्यकवाद की परिभाषा :- यह मान्यता है कि अगर कोई समुदायबहुसंख्यक है तो वह मनचाहे ढंग से देश का शासन कर सकता है और इसकेलिए वह अल्पसंख्यक समुदाय की आवश्यकताओं या इच्छाओं की अवहेलना कर सकता है।
श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद:- सन् 1948 मे श्रीलंका स्वतंत्र राष्ट्र बना।1956 मे एक कानून बनाया गया जिसके तहत तमिल को दरकिनार करके सिंहली को एकमात्र राजभाषा घोषित कर दिया गया। विश्वविद्यालयों और सरकारी नौकरियों में सिंहलियों को प्रथमिकता देने की नीति भी चली। इन सरकारी फैसलों ने श्रीलंकाई तमिलों की नाराजगी और शासन को लेकर उनमें टकराव बड़ गया।शीघ्र ही यह टकराव गृहयुद्ध में बदल गया। 2009 मे यह गृहयुद्ध समाप्त हुआ।
गृहयुद्ध की परिभाषा:- गृहयुद्ध एक ही राष्ट्र के अन्दर संगठित गुटों के बीच में होने वाले युद्ध को कहते हैं। अथवा
किसी मुल्क में सरकार विरोधी समूहों की हिंसक लड़ाई ऐसा रूप ले ले कि वह युद्ध सा लगे तो उसे गृहयुद्ध कहते हैं।
बेल्जियम की समझदारी:-
• 1970 और 1993 के बीच बेल्जियम के संविधान में चार संशोधन सिर्फ इस बात के लिए किए गए कि देश में रहने वाले किसी भी आदमी को बेगानेपन का एहसास न हो और सभी मिलजुलकर रह सके।
• बेल्जियम के मॉडल की कुछ मुख्य बातें-
→ संविधान में इस बात का स्पष्ट प्रावधान है कि केन्द्रीय सरकार में डच और फ्रेंच-भाषी मंत्रियों की संख्या समान रहेगी।
→ केंद्र सरकार की अनेक शक्तियाँ देश के दो इलाकों की क्षेत्रीय सरकारों को सुपुर्द कर दी गई हैं।
→ ब्रूसेल्स में अलग सरकार है और इसमें दोनों समुदायों का समान प्रतिनिधित्व है।
→ डच, फ्रेंच और जर्मन बोलने वाले समुदायों द्वारा चुनी गयी सामुदायिक सरकार का प्रावधान, जिसे संस्कृति, शिक्षा और भाषा जसे मसलों पर फैसले लेने का अधिकार हो।
सत्ता की साझेदारी क्यों जरूरी है?:-
•समाज में सौहार्द्र और शांति बनाये रखने के लिये सत्ता की साझेदारी जरूरी है। इससे विभिन्न सामाजिक समूहों में टकराव को कम करने में मदद मिलती।
• सत्ता की साझेदारी के माध्यम से बहुसंख्यक के आतंक से बचा जा सकता है।
• सत्ता की साझेदारी दरअसल लोकतंत्र की आत्मा है।लोकतंत्र का मतलब ही होता है कि जो लोग शासन-व्यवस्था के अंतर्गत हैं उनके बीच सत्ता को बाँटा जाए।
सत्ता की साझेदारी के रूप:- आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अनेक रूप हो सकते हैं।
1. सत्ता का क्षैतिज वितरण- शासन के विभिन्न अंग, जैसे विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता का बँटवारा रहता है। जैसे-भारत
2. संघ सरकार (सत्ता का उर्ध्वाधर वितरण)- सरकार के बीच भी विभिन्न स्तरों पर सत्ता का बँटवारा हो सकता है : जैसे पूरे देश के लिए एक सामान्य सरकार हो और फिर प्रान्त या क्षेत्रीय स्तर पर अलग-अलग सरकार रहे। जैसे- USA
3. सत्ता का बँटवारा विभिन्न सामाजिक समूहों, मसलन, भाषायी और धार्मिक समूहों के बीच भी हो सकता है। बेल्जियम में सामुदायिक सरकार इस व्यवस्था का एक अच्छा उदहारण है।
4. सत्ता के बँटवारे का एक रूप हम विभिन्न प्रकार के दबाव-समूह और आंदोलनों द्वारा शासन को प्रभावित और नियंत्रित करने के तरीके में भी लक्ष्य कर सकते हैं।
अभ्यास प्रश्नावली:-
प्रश्न.1. आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की सांझेदारी के अलग-अलग तरीके क्या हैं? इनमें से प्रत्येक का एक उदाहरण भी दें।
उत्तर:- सत्ता की साझेदारी या बंटवारे के विभिन्न तरीके- आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अलग अलग तरीके निम्नलिखित हैं:-
1. सरकार विभिन्न अंगों के बीच सत्ता की साझेदारी, उदाहरण: विधायिका और कार्यपालिका के बीच सत्ता की साझेदारी।
2. सरकार के विभिन्न स्तरों में सत्ता की साझेदारी: उदाहरण: केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सत्ता की साझेदारी।
3. सामाजिक समूहों के बीच सत्ता की साझेदारी, उदाहरण: सरकारी नौकरियों में पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षण।
4. दबाव समूहों के बीच सत्ता की साझेदारी: नये श्रम कानून के निर्माण के समय ट्रेड यूनियन के रिप्रेजेंटेटिव से सलाह लेना।
प्रश्न.2. भारतीय संदर्भ में सत्ता की हिस्सेदारी का एक उदाहरण देते हुए इसका एक युक्तिपरक ओर एक नैतिक • कारण बताएँ।
उत्तर:- भारत में सत्ता का बँटवारा सरकार के विभिन्न स्तरों के बीच हुआ है, जैसे- केंद्र सरकार, राज्य सरकार और स्थानीय सरकार।
🔸युक्तिपरक कारण भारत एक घनी आबादी वाला देश है। पूरे देश के लिए एक ही सरकार के द्वारा कानून बनाना, शांति तथा व्यवस्था बनाना संभव नहीं है। इसलिए सरकार को विभिन्न स्तरों में बाँट दिया गया है और उनके बीच कार्यों का बँटवारा संविधान में लिखित रूप से कर दिया गया है, जिससे ये सरकारें बिना झगड़े देश के लोगों के हितों को ध्यान में रखकर शासन कर सकें।
🔸नैतिक कारण लोकतंत्रीय देश में सत्ता का बँटवारा जरूरी है। यदि एक ही प्रकार की सरकार होगी तो वह निरंकुश हो जाएगी, ज्यादा से ज्यादा लोगों की भागीदारी शासन में नहीं हो पाएगी जो कि लोकतंत्र के लिए जरूरी है। इसलिए भारत में विभिन्न स्तरों पर सरकारों का वर्गीकरण कर दिया गया है।
प्रश्न 3. इस अध्याय को पढ़ने के बाद तीन छात्रों ने अलग-अलग निष्कर्ष निकाले। आप इनमें से किससे सहमत है और क्यों? अपना जवाब करीब 50 शब्दों में दें।
• थम्मन- जिन समाजों में क्षेत्रीय, भाषायी ओर जातीय आधार पर विभाजन हो सिर्फ वहीं सत्ता की साझेदारी जरूरी है।
• मथाई- सत्ता की साझेदारी सिर्फ ऐसे देशों के लिए उपयुक्त है जहाँ क्षेत्रीय विभाजन मौजूद होते हैं।
• ओसेफ- हर समाज में सत्ता की साझेदारी की जरूरत होती है। भले ही वह छोटा हो या उसमेंसामाजिक विभाजन न हो।
उत्तर:- हम ओसेफ के निष्कर्ष से सहमत है कि हर समाज में सत्ता की साझेदारी की जरूरत होती है। भले ही वह छोटा हो या उसमें सामाजिक विभाजन न हो। क्योंकि सत्ता का बँटवारा लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के लिए ठीक है। सत्ता की साझेदारी वास्तव में लोकतंत्र की आत्मा है। लोकतंत्र का मतलब ही होता है कि जो लोग इस शासन व्यवस्था के अंतर्गत हैं उनके बीच सत्ता को बाँटा जाए और ये लोग इसी ढर्रे में रहें। वैध सरकार वही है जिसमें अपनी भागीदारी के माध्यम से सभी समूह शासन व्यवस्था से जुड़ते हैं।
प्रश्न 4, बेल्जियम में ब्रुसेल्स के निकट स्थित शहर मर्चटम के मेयर ने अपने यहाँ के स्कूलों में फ्रेंच बोलने पर लगी रोक को सही बताया है। उन्होंने कहा कि इससे डच भाषा न बोलने वाले लोगों को इस फ्लेमिश शहर के लोगों से जुड़ने में मदद मिलेगी। क्या आपको लगता है कि यह फेसला बेल्जियम की सत्ता की साझेदारी की व्यवस्था की मूल भावना से मेल खाता है? अपना जवाब करीब 50 शब्दों में लिखें।
उत्तर:- स्कूलों में फ्रेंच बोलने पर लगी रोक को सही बताना बेल्जियम की सत्ता की साझेदारी की व्यवस्था की मूल भावना के खिलाफ है। बेल्जियम में जो व्यवस्था अपनाई गई उसमें सभी भाषाओं के लोगों को समान अधिकार दिए गए थे। इसलिए स्कूलों में फ्रेंच बोलने पर रोक लगाना सही नहीं है क्योंकि ऐसा करने से फ्रेंच भाषी लोगों की भावनाओं का हनन होता है।
प्रश्न 5. नीचे दिए गए उद्धरण को गौर से पढ़ें और इसमें सत्ता की साझेदारी के जो युक्तिपरक कारण बताए गए हैं उनमें से किसी एक का चुनाव करें।
"महात्मा गांधी के सपनों को साकार करने और संविधान निर्माताओं की उम्मीदों को पूरा करने के लिए हमें पंचायतों को अधिकार देने की जरूरत है। पंचायती राज ही वास्तविक लोकतंत्र की स्थापना करता है। यह सत्ता उन लोगों के हाथों में सोंपता है जिनके हाथों में इसे होना चाहिए। भ्रष्टाचार को कम करने और प्रशासनिक कुशलता को बढ़ाने का एक उपाय पंचायतों को अधिकार देना भी है। जब विकास की योजनाओं को बनाने और लागू करने में लोगों की भागीदारी होगी तो इन योजनाओं पर उनका नियंत्रण बढ़ेगा। इससे भ्रष्ट बिचोलियों को खत्म किया जा सकेगा। इस प्रकार पंचायती राज लोकतंत्र की नींव को मजबूत करेगा।"
उत्तर:- इस उद्धरण में बताया गया है कि पंचायतों के स्तर पर सत्ता को बँटवारा जरूरी है क्योंकि इससे भ्रष्टाचार कम होगा तथा प्रशासनिक कुशलता बढ़ेगी। पंचायतों के अधीन जब आम लोग स्वयं अपने लिए विकास की योजनाएँ बनाएँगें और उन्हें लागू करेंगे तो भ्रष्ट बिचोलियों को समाप्त किया जा सकता है। जब स्थानीय लोग स्वयं योजनाएँ बनाएँगे तो उनकी समस्याओं का समाधान शीघ्र होगा, क्योंकि किसी स्थान विशेष की समस्याएँ वहाँ के लोग भली-भाँति समझते हैं। इस प्रकार विकास करने के लिए जरूरी है कि पंचायतों को अधिकार सौंपे जाएँ जिससे लोकतंत्र की नींव मजबूत हो।
प्रश्न 6: सत्ता के बँटवारे के पक्ष और विपक्ष में कई तरह के तर्क दिए जाते हैं। इनमें से जो तर्क सत्ता के बँटवारे के पक्ष में हैं उनकी पहचान करें और नीचे दिए गए कोड से अपने उत्तर का चुनाव करें।
सत्ता की साझेदारी:-
(क) विभिन्न समुदायों के बीच टकराव को कम करती है। √
(ख) पक्षपात का अंदेशा कम करती है। √
(ग) निर्णय लेने की प्रक्रिया को अटका देती है।×
(घ) विविधताओं को अपने में समेट लेती है।√
(च) अस्थिरता और आपसी फूट को बढ़ाती है।×
(छ) सत्ता में लोगों की भागीदारी बढ़ाती है।√
(ज) देश की एकता को कमजोर करती है।×
उतर:- क, ख, घ, छ
प्रश्न 7: बेल्जियम और श्रीलंका की सत्ता में साझेदारी की व्यवस्था के बारे में निम्नलिखित बयानों पर विचार करें:
A. बेल्जियम में डच भाषी बहुसंख्यकों ने फ्रेंच भाषी अल्पसंख्यकों पर अपना प्रभुत्व जमाने का प्रयास किया।×
B. सरकार की नीतियों ने सिंहली-भाषी बहुसंख्यकों का प्रभुत्व बनाए रखने का प्रयास किया।√
C. अपनी संस्कृति और भाषा को बचाने तथा शिक्षा और रोजगार में समानता के अवसर के लिए श्रीलंका के तमिलों ने सत्ता को संघीय ढ़ाँचे पर बाँटने की माँग की।√
D. बेल्जियम में एकात्मक सरकार की जगह संघीय शासन व्यवस्था लाकर मुल्क को भाषा के आधार पर टूटने से बचा लिया गया।√
ऊपर दिए गए बयानों में से कौन से सही हैं?
उत्तर:- B, C और D
प्रश्न 8: निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए
सूची 1 सूची 2
1 टिप्पणियाँ
Sandar notes for revision
जवाब देंहटाएंThanks for comment