वारेन हेस्टिंग्स
कार्यकाल - 1772 1785 ई.
यह बंगाल का अंतिम गवर्नर तथा पहला गवर्नर जनरल था ।
रेग्युलेटिंग एक्ट 1773 ई. के द्वारा गवर्नर का नाम बदलकर गवर्नर जनरल किया गया था जिसका कार्यकाल 5 वर्षो का होता था ।
गवर्नर रहते हुए किए गए कार्य-
1772 में बंगाल में द्वैध शासन व्यवस्था लागू की ।
बंगाल के प्रत्येक जिले में दीवानी व फौजदारी न्यायालय स्थापित किये ।
इसने बंगाल में इजारेदारी प्रथा भी शुरू की ।
रेग्युलेटिंग एक्ट 1773 के तहत कलकत्ता में सर्वप्रथम 1774 में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की गई जिसके प्रथम मुख्य न्यायाधीश सर एलिजा इम्फे थे ।
राजा नंद कुमार वर्द्धमान जिले का कलेक्टर था ।
➤इस युद्ध में सालाबाई की संधि ( 1782 ई. ) में हुई ।
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अवध की बेगमों से जबरन धन वसूला गया ।
इसने बंगाल की राजधानी कलकत्ता को बनाया तथा मुद्रण टकसाल मुर्शिदाबाद से कलकत्ता स्थानान्तरित की ।
1784 में विलियम जोंस ने इसके समय में ही एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल की स्थापना की ।
इसने मुगल सम्राट को मिलने वाला 26 लाख रु. की वार्षिक पेंशन बंद करवा दी थी ।
1780 में भारत का पहला समाचार पत्र 'द बंगाल गजट' जिसका प्रकाशन 'जेम्स आगस्टस हिक्की' ने किया था, इसी के समय प्रकाशित हुआ ।
वारेन हेस्टिंग्स के काल में ही 'चार्ल्स विलकिन्स' ने गीता का अंग्रेजी में अनुवाद किया ।
मुस्लिम शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु 1781 में मदरसो का निर्माण किया गया ।
इसके समय में ही हिन्दु कोड व मुस्लिम कोड प्रथक-प्रथक बनाए गये ।
इसने लगान बोर्ड की स्थापना की ।
सीमा शुल्क वसूलने हेतु 5 चौकियों का निर्माण किया - कलकत्ता, मुर्शिदाबाद, हुगली, ढाका, पटना
1780 में नमक व अफीम पर पूर्ण रुप से सरकारी नियंत्रण हो गया ।
हेस्टिंगस ने देशी रियासतो के प्रति रिंग्स ऑफ फायर नीति ( सुरक्षा नीति ) को अपनाया ।
1784 में पिट्स इण्डिया एक्ट आया जिसके विरोध में वारेन हेस्टिंगस ने इस्तीफा दे दिया ।
1785 में वारेन हेस्टिंग्स इंग्लैण्ड चला गया ।
पिट्स इण्डिया एक्ट के विरोध में वारेन हेस्टिंगस पर इंग्लैण्ड में बर्क के द्वारा महाभियोग लगया गया बाद में इसे 1795 में अरोपो से बरी कर दिया गया ।
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